सतना की सीटों पर कब्जा जमाने का भाजपाई प्रयास

Webdunia
शुक्रवार, 22 नवंबर 2013 (18:40 IST)
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सतना। मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सतना जिले की सभी सातों विधानसभा सीटों पर विजय हासिल करने के इरादे से इस बार पूरी ताकत झोंक रही है हालांकि राजनीतिक वजूद बचाए रखने के लिए भी कांग्रेस एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।

उत्तरप्रदेश से सटे इस जिले में बसपा उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां वह उलटफेर कर सकती है। सभी सातों सीटों पर इन दिनों चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है और मतदान में मात्र 2 दिन ही शेष रहने के कारण सभी प्रत्याशी उनसे सीधा संवाद स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 6 सीटों पर पार्टी का परचम लहराया था जबकि एक पर बसपा ने विजय हासिल करके कांग्रेस को एक और झटका दिया था। 6 सीटों पर विजय हासिल करने वाली भाजपा ने तब पूरे जिले में लगभग 2 लाख 32 हजार वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस को 1 लाख 72 हजार वोट मिलने के बावजूद उसे सातों सीटों पर करारी शिकस्त झेलना पड़ी थी।

5 वर्ष पहले बसपा को जिले में कांग्रेस से कुल 1 लाख 52 हजार वोट मिले थे लेकिन वह रामपुर सीट पर अपना कब्जा करने में सफल हुई थी। रैगांव सीट पर वह प्रतिद्वंद्वियों से निकट के संघर्ष में थी। 5 वर्ष बीत जाने के बाद इस जिले में राजनीतिक फिजा काफी बदली हुई नजर आती है।

शायद इसी वजह से जिले की मैहर सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक मोतीलाल तिवारी के स्थान पर रमेश पांडेय को मैदान में उतारकर इस पर कब्जा बरकरार रखने का प्रयास किया है।

मैहर से सटी नागौद सीट से लोक निर्माण मंत्री नागेंद्र सिंह के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद उनकी राय के अनुरूप जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेंद्र सिंह को मैदान में उतारकर इस पर भी पार्टी की बादशाहत कायम रखने का प्रयास किया जा रहा है।

सतना चित्रकूट और रामपुर विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने पुराने ही प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। रैगांव सीट से चार बार विधायक रहे जुगलकिशोर बागरी के पुत्र पुष्पराज बागरी पार्टी प्रत्याशी के तौर पर दल के साथ ही अपने परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

वहीं कांग्रेस ने सतना मैहर रामपुर और रैगांव में नए चेहरों को उतारकर इन सीटों पर अपना कब्जा कायम करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। मैहर से नारायण त्रिपाठी सतना से राजाराम त्रिपाठी और रामपुर से सुधा सिंह जातीय समीकरणों के आधार पर रोचक मुकाबले में आ गए हैं।

बसपा ने वर्ष 1993 के चुनाव में चित्रकूट और रामपुर सीट पर विजय हासिल करके सबको चौंका दिया था। यह वही इलाका है, जहां 1996 के लोकसभा चुनाव में बसपा के सुखलाल कुशवाह ने तिवारी कांग्रेस के उम्मीदवार अर्जुन सिंह और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सकलेचा को पराजित करके नया इतिहास रच दिया था, हालांकि बाद के वर्षों में बसपा इस इलाके में बहुत खास नहीं कर पाई।

अलबत्ता 2008 के विधानसभा चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट से बसपा के रामलखन सिंह ने भाजपा के प्रताप सिंह को शिकस्त देकर पार्टी का प्रभाव बनाए रखा था। इस बार बसपा सतना के अलावा नागौद रामपुर और रैगांव क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को टक्कर देती हुई नजर आ रही है। बसपा अपने जाति विशेष के मतदाताओं को पूरी तरह रिझाने में जुटी है।

सतना में लगातार दो चुनाव जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी शंकरलाल तिवारी त्रिकोणीय मुकाबले में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल गुलशेर अहमद के पुत्र सईद अहमद की दावेदारी खारिज करके पूर्व महापौर राजाराम त्रिपाठी चुनावी मैदान में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

बसपा प्रत्याशी एवं वैश्य समाज के प्रतिनिधि अनिल अग्रहरि की मौजूदगी ने मुकाबला रोचक कर दिया है और वे दोनों दलों के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं।

चुनाव के दौरान प्रत्याशी व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियों से बच रहे हैं। मुद्दों के रूप में राज्य की भाजपा सरकार की 10 वर्ष की उपलब्धियां और कथित नाकामियां ही सामने आईं। भाजपा के लोग दिग्विजय सिंह के 10 वर्ष के शासनकाल की नाकामियों को भी भुनाने की कोशिश में जुटे हैं।

इन सातों सीटों पर प्रचार अभियान शनिवार 5 पांच बजे समाप्त हो जाएगा और 25 नवंबर को मतदान होगा। प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला 8 दिसंबर को मतगणना के साथ होगा। (वार्ता)

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