झाबुआ-थांदला में बागी उम्मीदवार बन गए गले की फांस

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झाबुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में झाबुआ जिले की 3 विधानसभा सीटों में से झाबुआ और थांदला पर बागी उम्मीदवार कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के गले की फांस बन गए हैं।

झाबुआ सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जेवियर मेड़ा को सबसे बड़ी चुनौती अपनी ही पार्टी की बागी उम्मीदवार कलावती भूरिया से है। कलावती पिछले 10 सालों से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और कांग्रेस संगठन पर उसका पूरा कब्जा रहा है जिसके कारण झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ गया है।

मेड़ा अभी तक शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ नहीं बना सकें। रानापुर क्षेत्र में जेवियर मेड़ा की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है। रानापुर शहर में नगर पंचायत में कांग्रेस का कब्जा है लेकिन स्थिति यह है कि सारी नगर पंचायत बागी उम्मीदवार कलावती के साथ है।

इस कारण कांग्रेस के कार्यालय में बैठने तक को लोग नहीं मिल रहे हैं। रानापुर और बोरी क्षेत्र में कलावती भूरिया को जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है वहीं नगरीय क्षेत्रों में जिनमें से झाबुआ, रानापुर, पिटोल, कल्याणपुरा, कुंदनपुर आदि जगहों पर भाजपा के शांतिलाल बिलवाल को खासा समर्थन है।

पिटोल, देवझरी, परवट, मोहनपुरा, कुंडला आदि क्षेत्रों में कांग्रेस की पकड़ मजबूत दिखाई दे रही है। इस सीट पर हालांकि 13 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला यहां त्रिकोणीय है।

यहां हार-जीत का दारोमदार कांग्रेस की बागी उम्मीदवार कलावती भूरिया के वोट प्रतिशत पर ज्यादा निर्भर करेगा। अगर यहां कांग्रेस हारती है तो उसका कारण कलावती भूरिया ही होगी।

झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,35,144 मतदाता है, जो 283 मतदान केंद्रों पर 25 नवंबर को मतदान करेंगे। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में यहां 58 प्रतिशत मतदान हुआ था और कांग्रेस के जेवियर मेड़ा 18 हजार से अधिक मतों से विजयी रहे थे।

यहां कांग्रेस की ओर से अब तक सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया की चुनावी सभा हुई है। क्षेत्र के सांसद कांतिलाल भूरिया प्रचार के लिए जिले में और झाबुआ में नहीं आए हैं।

इसी प्रकार झाबुआ जिले की दूसरी विधानसभा सीट थांदला पर भाजपा के लिए भी पार्टी के बागी उम्मीदवार कलसिंग भाबर ने मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं। कलसिंह भाबर पूर्व विधायक हैं और संघ का उन्हें पूरा समर्थन है। बड़े स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं जिस कारण अधिकृत उम्मीदवार जिला सहकारी केंद्रीय बैक के अध्यक्ष गौरसिंह वसुनिया को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

कांग्रेस ने यहां से वर्तमान विधायक वीरसिंग भूरिया का टिकिट काटकर उनके समधी गेंदालाल डामोर को अपना उम्मीदवार बनाया है जिससे यहां मुकाबला रोचक हो गया है। विधानसभा क्षेत्र में 2,05,652 मतदाता है, जो 250 मतदान केंद्रों पर मतदान करेंगे। वर्ष 2008 में यहां 71 प्रतिशत मतदान हुआ था और कांग्रेस विजयी रही थीं।

जिले की तीसरी विधानसभा सीट पेटलावद पर 6 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के वालसिंह मेड़ा और भाजपा की जिलाध्यक्ष निर्मला भूरिया के बीच है। यहां दोनों पार्टियां संगठित होकर चुनाव लड़ रही हैं जिससे कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही उम्मीदवार लोकप्रिय हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में वालसिंह मेड़ा ने निर्मला को 8 हजार मतों से पराजित किया था। उस चुनाव में यहां 68 प्रतिशत मतदान हुआ था। विधानसभा क्षेत्र में 2,17,032 मतदाता 277 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में सिंधिया की सभा हुई है लेकिन भाजपा का कोई बड़ा नेता अब तक नहीं पहुंचा है।

इस बार तीनों सीटों पर युवा मतदाताओं की संख्या में काफी इजाफा होने से मतदान 70 से 75 प्रतिशत होने की उम्मीद है हालांकि आदिवासियों के पलायन का असर जरूर पड़ेगा।

झाबुआ में चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में 21 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सभा और 22 नवंबर को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी की सभा के बाद दोनों पार्टियों के लिए हवा का रुख साफ होने की बात राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा कही जा रही है। (वार्ता)

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