जटाशंकर :- यह एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से 1.5 किमी. दूरी पर है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको कुछ दूर तक पैदल चलने का आनंद उठाना पड़ेगा। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। यहां एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी एक मंदिर में स्थित है। पास ही में हार्पर की गुफा भी है।
पांडव गुफा :- महाभारत काल की मानी जाने वाली पांच गुफाएं यहां हैं जिनमें 'द्रौपदी कोठरी' और 'भीम कोठरी' प्रमुख हैं। पुरातत्वविद मानते हैं कि यह गुफाएं गुप्तकाल की हैं जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था।
राजेंद्र गिरि :- इस पहाड़ी का नाम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां आकर रुके थे। उनके लिए यहां रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।
अप्सरा विहार :- पांडव गुफाओं से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है।
रजत प्रपात :- यह अप्सरा विहार से आधा किमी. की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इसका जल इसका जल एकदम दूधिया चांदी की तरह दिखाई पड़ता है।
हांडी खोह :- यह खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढंकी है और यहां कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता।
पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहां एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है। यहां बने रेलिंग प्लेटफार्म पर से आप घाटी का नजारा ले सकते हैं।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट :- इस बिंदु पर से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही लुभावना लगता है। तीन पहाड़ी शिखर बाईं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दाईं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। धूपगढ़ यहां की सबसे ऊंची चोटी है।
बी फॉल :- यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किमी. की दूरी पर स्थित है। मित्रों व रिश्तेदारों के साथ पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
इसके अलावा यहां महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया जिसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किमी. है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां दिन या रात में रुकने के लिए आपको उद्यान के निदेशक से अनुमति लेना पड़ती है। इसके अलावा यहां कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं।
कहां ठहरें :- पचमढ़ी में बहुत से वातानुकूलित सर्वसुविधायुक्त होटल्स हैं। जहां आप आराम से शाही ठाठ के साथ रुक सकते हैं।
कैसे जाएं :- सड़क मार्ग- नियमित बस सेवा से पचमढ़ी भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा जुड़ा है। पिपरिया से टैक्सी सेवा उपलब्ध हैं।
रेलमार्ग- मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर इटारसी होते हुए पिपरिया स्टेशन सबसे करीब है।
हवाई मार्ग- भोपाल सबसे निकट का हवाई अड्डा है। जो दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, मुंबई, रायपुर और जबलपुर से जुड़ा है।
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