जून माह में घूमने जा सकते हैं मध्यप्रदेश की इन 10 सस्ती और शांत जगहों पर

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 31 मई 2022 (12:06 IST)
यदि आप मध्यप्रदेश में घूमना चाहते हैं और वह भी जून माह में तो आपका स्वागत है। मध्यप्रदेश में आप कहीं भी चले जाएं आपके बजट में ही होटल, रिसोर्ट या गेस्ट हाउस मिल जाएंगे। इस प्रदेश में देखने के लिए कई प्राकृतिक और तीर्थ स्थानों के साथ ही कई ऐतिहासिक स्थल भी मौजूद है। यहां देखने के लिए तो सैंकड़ों स्थल है परंतु हम आपके लिए हम लाएं हैं 10 ऐसे स्थान जहां आपको जरूर घूमना चाहिए।
 
 
1. पचमढ़ी (Pachmarhi): होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी मध्यप्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है जिसे मध्यप्रदेश का श्रीनगर और स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। रोमांटिक स्थलों में यह टॉप पर है। ऊंचे ऊंचे पहाड़, झील, झरने, गुफाएं, जंगल सभी कुछ हैं यहां पर। राजधानी भोपाल से यहां पहुंचना और रहना बहुत ही आसान और सस्ता है। पचमढ़ी के पास ही अमरकंटक वह स्थान है जहां से नर्मदा नदी का उद्गम हुआ है।
 
2. भेड़ाघाट (bhedaghat): भोपाल के पास जबलपुर और जबलपुर के पास भेड़ाघाट बहुत ही शानदार जगह है। दो सफेद पहाड़ों के बीच नर्मदा नदी बहती है। नर्मदा में नौका-विहार करने का रोमांच ही कुछ और है। यहां की खासियत है वॉटर फाल अर्थात जल प्रपात। बहुत ऊंचाई से गिरते धुंआ धुंआ से झरने को देखना आनंददायक होता है। 
 
3. मांडू (Mandu): स्वच्छता में भारत के नंबर वन शहर इंदौर के पास विंध्याचल की खूबसूरत पर्वतमालाओं के बीच 2000 फीट की ऊंचाई पर बसा मांडू मालवा के परमारों द्वारा शासित रहा है। यहां पर राज महाराजों के महल, बावड़ी, तालाब आदि देख सकते हैं। यहां पर प्राकृतिक सुंदरता भी भरपूर है। यह स्थान इंदौर से करीब 98 किलोमीटर दूर है।
 
4. खजुराहो (Khajuraho) : मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध। खजुराहो शिल्प के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय नृत्य समारोह के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने सन् 950-1050 के बीच करवाया था। पहले इसका नाम 'खर्जुरवाहक' था। 1986 में यूनेस्को द्वारा इन मंदिरों को 'विश्व धरोहर स्थल' घोषित कर रखा है।
5. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (Kanha National Park) : एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है। मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुंचा जा सकता है।
 
6. उज्जैन (Ujjain): भारत की प्रमुख तीर्थ नगरियों में से एक क्षिप्रा नदी के तट पर बसी उज्जैन नगरी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग के साथ ही हरसिद्धि और गढ़कालिका शक्तिपठ भी स्थित है। यहां विश्‍व प्रसिद्ध काल भैरव का मंदिर और भर्तहरि की गुफा भी है। इसके अलावा यहां सप्त सागर, चक्रतीर्थ और सैंकड़ों प्राचीन स्थल मौजूद है। इंदौर से इसकी दूरी 60 किलोमीटर है। 
 
7. ओमकारेश्वर (Omkareshwar): इंदौर के पास करीब 90 किलोमीटर दूर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। ममलेश्वर और ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन के साथ ही ओंकार पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। इस दौरान नदी और घाटों के नजारे कई गुना ज्यादा सुंदर दिखाई देते हैं। यात्रा के दौरान ऐतिहासिक घाटों, प्राकृतिक खूबसूरती को संजोए पर्वत, आश्रमों, डेम, बोटिंग आदि का लुत्फ भी लिया जा सकता है। ओंकारेश्वर के पास ही महारानी अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर को देखना न भूलें। मंडलेश्वर भी पास में स्थित है।
 
8. भीमबेटका (bhimbetka): भोपाल से करीब 45 किलोमीटर दूर भीम बेठिका या भीम बैटका एक ऐसा स्थान है जिसे आदिम मनुष्यों का पुरापाषाणिक आवासीय स्थल माना जाता है। भीमबैटका आदि-मानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। रहस्यों से भरे इस स्थान को लोग दूर दूर से देखने आते हैं। रातापानी वन्य अभ्यारण में स्थित इन प्राग-ऐतिहासिक शिलाओं में निर्मित गुफाओं व प्राकृतिक शैलाश्रयों में हजारों साल पहले मानव के पाषाणयुगीन पूर्वज रहा करते थे।
 
9. सांची (sanchi): विदिशा जिले से मात्र दस किमी दूर स्थित सांची अपने बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। यह यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में शामिल है। भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से कुछ मंदिर यहां है। सांची स्तूप में स्तूप क्रमांक एक सबसे बड़ा स्तूप है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। सभी स्तूपों के अलावा यहां पर हिन्दू और जैन धर्म के कई प्राचीन मंदिर भी है जिन्हें देखने के लिए यहां पर पर्यटकों भी भीड़ हमेशा बनी रहती है। 
 
10. देवास (dewas): इंदौर से करीब 35 किलोमीटर दूर देवास शहर को मां चामुंडा की नगरी भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश के देवास में है माता तुलजा भवानी और चामुंडा देवी के एक साथ मंदिर। देवास टेकरी पर स्थित मां तुलजा भवानी और चामुंडा माता का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस शहर के पास ही 5 किलोमीटर दूर बिलावली में एक ऐसा‍ शिवलिंग है जो हर वर्ष बढ़ता है। देवास में ही हनुमानजी का खेड़ापति सरकार का मंदिर और बाबा शिलनाथ का धूना भी है। चारों ओर पहाड़ियों का घिरा यह शहर देखने लायक है।
 
इसके अलावा आप चाहे तो इंदौर, भोपाल, ओरछा, अमरकंटक, मोहनखेड़ा, नेमावर, देवास, होशंगाबाद, शिवपुरी, भुवनेश्वर आदि जगहों के प्रमुख स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं।

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