अप्रैल तक दिख सकते हैं खूबसूरत विदेशी पंछी

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फरवरी माह में कड़कड़ाती ठंड भले ही लोगों के लिए परेशानी पैदा कर रही हो, लेकिन यह प्रवासी पक्षियों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बार मार्च के महीने तक सर्दी पड़ने की संभावना है, जिससे प्रवासी पक्षियों के अप्रैल तक भोपाल और आसपास के जगहों पर बने रहने की उम्मीद है। पहले प्रवासी पक्षी फरवरी के महीने में ही वापस जाने लगते थे।

प्रवासी पक्षी रूस, साईबेरिया, मध्य एशिया और अंटार्कटिका आदि स्थानों से भारत आते हैं। इस बार रूस और साईबेरिया में पहले के मुकाबले ज्यादा सर्दी पड़ रही है, वहां का तापमान अभी भी माइनस 25 से 30 बना हुआ है। इसके चलते अभी वहां पक्षियों के अनुकूल वातावरण नहीं हुआ है।

दूसरी तरफ राजधानी में अभी भी सर्दी पड़ रही है और मार्च तक सर्दी पड़ने की उम्मीद है। इससे पक्षियों के लिए राजधानी का वातावरण अनुकूल व रूस और साईबेरिया का वातावरण प्रतिकूल है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि प्रवासी पक्षी अप्रैल तक राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में बने रहेंगे।

इस बार भले ही प्रवासी पक्षी देर तक राजधानी में रुकें, लेकिन इनकी लगातार कम होती जा रही संख्या को लेकर विशेषज्ञों और पक्षी प्रेमियों में चिंता है। भोपाल के बड़ा तालाब, कलिया सोत डेम, शाहपुरा झील और केरवा डेम में प्रवासी पक्षियों की संख्या आधी से भी कम रह गई है। इसकी वजह इन जगहों पर मानवीय हस्तक्षेप का बढ़ना है।

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पर्यटन संबंधी गतिविधियों के लिए बड़ी संख्या में लोग इन जलाशयों में जा रहे हैं, जिससे प्रवासी पक्षियों के लिए खतरा पैदा हो रहा है। यही वजह है कि अब उन्होंने राजधानी के जलाशयों को छोड़कर आसपास के जिले रायसेन, विदिशा, सिहोर आदि के जलाशयों में शरण लेना शुरू कर दिया है। पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद खालिद बताते हैं कि पहले राजधानी में 80 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आया करते थे, लेकिन जैसे-जैसे बड़े तालाब में मानवीय घुसपैठ शुरू हुई तब से इनकी संख्या 40 से भी कम हो गई है।

मौसम में आ रहे बदलाव के कारण भी प्रवासी पक्षियों की संख्या कम हो रही है। प्रवासी पक्षी आमतौर पर अक्टूबर के महीने तक यहां आने लगते हैं, लेकिन इस बार दिसम्बर के महीने तक ठंड नहीं पड़ी। इससे प्रवासी पक्षियों ने कम संख्या में ही राजधानी का रुख किया।

अब फरवरी और मार्च में अधिक ठंड प़ड़ रही है, लेकिन नए प्रवासी पक्षियों के आने की उम्मीद बहुत कम है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में लिम्नोलॉजी के लेक्चरर विपिन व्यास बताते हैं कि मौसम और मानवीय हस्तक्षेप का प्रवासी पक्षियों की संख्या पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

कई खूबसूरत प्रवासी पक्षी जैसे - कंटेट स्टोर्क, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, कामन कूट, कामन टील्स, लेसर व्हीस्लिंग टील्स, वुलिनेक स्टार्क, ब्रम्हनी शेल डक, स्पॉट बिल डक आदि को राजधानी के जलाशयों बड़ा तालाब, छोटी झील, शाहपुरा झील, कलिया सोत डेम व केरवा डेम में देखा जा सकता है।

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