भोपाल। राजधानी भोपाल से सटे रायसेन जिले के किले में ताले में बंद शिवमंदिर का मुद्दा अब तूल पकड़ता दिख रहा है। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के ताले में बंद शंकर के कैद वाले बयान के बाद अब इसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की एंट्री हो गई है।
हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने सोमवार 11 अप्रैल को मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक करने की बात कहकर पूरे मुद्दे को हाईप्रोफाइल बना दिया है। उमा भारती ने आज अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा कि यह मान्यता है कि नवरात्रि के तुरंत बाद के पहले सोमवार को शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
मैं शिव जी के किसी सिद्ध स्थान को तलाश ही रही थी कि नवरात्रि के बाद के 11 अप्रैल सोमवार को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से अभिषेक करूं। अचानक कल मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित अखबार से रायसेन में कथा कर रहे प्रतिष्ठित कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी के हवाले से यह जानकारी मिली कि रायसेन के किले में एक ऐसा सिद्ध शिवलिंग है।
शेरशाह के विश्वासघात के शिकार राजा पूरणमल- उमा भारती ने आगे लिखा कि रायसेन के किले के नाम से ही मेरे अंतः में हूक उठती है। विश्व प्रसिद्ध प्रामाणिक इतिहासकार Abraham Eraly ने अपनी पुस्तक Emperors of the Peacock Throne में लिखा है कि किस तरह से रायसेन के राजा पूरणमल शेरशाह सूरी के विश्वासघात के शिकार हुए। किले के चारों तरफ घेरा डालकर शेरशाह सूरी ने राजा पूरणमल से संधि कर ली, फिर उनके परिवार एवं उनके सहायकों के टेंट को शेरशाह सूरी ने अपने अफगान सैनिकों के साथ घेर लिया तथा रात में राजा पूरणमल को घेर कर मार डाला।
राजा पूरणमल बहुत बहादुरी से लड़े, मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी रानी रत्नावली के अनुरोध पर उनकी गर्दन काट दी ताकि वह वहशियों के शिकंजे में ना आ पावे, किंतु उनके दो मासूम बेटे एवं अबोध कन्या टेंट में एक कोने में दुबक गए, जहां से उनको इन वहशियों ने खींच कर निकाला। दोनों मासूम बेटे वहीं काट दिए गए एवं राजा पूरणमल की अबोध कन्या वैश्यालय को सौंप दी जहां वह दुर्दशा का शिकार होकर मर गई।
जब भी मैं रायसेन के किले के आस पास से गुजरी यह प्रसंग मुझे याद आता था एवं बहुत दुःखी एवं शर्मिंदा होती थी। जब डॉ. प्रभुराम चौधरी के चुनाव प्रचार में मैंने एवं शिवराज जी ने रायसेन में एक साथ सभा की थी तब मैंने रायसेन के किले की ओर देखते हुए यह बात कही थी कि इस किले को देखकर मुझे बहुत कष्ट होता है और आज जब हमारा भाजपा का झंडा इसके सामने फहरा रहा है तो कुछ शांति होती है।
गंगाजल चढ़ाकर राजा पूरणमल का करूंगी तर्पण- पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने आगे लिखा कि पूरणमल के साथ हुई घटना नीचता, विश्वासघात एवं वहशीपन की याद दिलाती है। मुझे अपनी इस अज्ञानता पर शर्मिंदगी है कि मुझे उस प्राचीन किले में सिद्ध शिवलिंग होने की जानकारी नहीं थी। मैंने अपने कार्यालय से कल कहा था कि रायसेन जिला प्रशासन को 11 अप्रैल, सोमवार को मेरे वहां जल चढ़ाने की सूचना दें।
जब मैं 11 अप्रैल, सोमवार को उस सिद्ध शिवलिंग पर गंगोत्री से लाया हुआ गंगाजल चढ़ाऊंगी तब राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, उनके मार डाले गए दोनों मासूम बेटे एवं वहशी दुर्दशा की शिकार होकर मर गई अबोध कन्या एवं उन सब के साथ मारे गए राजा पूरणमल के सैनिक उन सबका मैं तर्पण करूंगी एवं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।
उमा का एलान सरकार के लिए चुनौती- रायसेन किले के सोमेश्वर धाम महादेव मंदिर का अपना एक इतिहास है। मौजूदा समय में केवल शिवरात्रि के दिन 12 घंटे के लिए मंदिर खोला जाता है और शिवभक्त जलाभिषेक करते है। शिवरात्रि के दिन मंदिर में मेले का भी आयोजन होता है। ऐसे में अब उमा भारती के जलाभिषेक के एलान के बाद प्रशासन की चुनौती बढ़ गई है। रायसेन का किला मौजूदा दौर में पुरात्तव विभाग के अधीन है और मंदिर की चाबी उसी के पास रहती है।
मंदिर पर क्यों लगा ताला?- दरअसल रायसेन के सोमेश्वर धाम मंदिर को विध्वंस करने का आरोप मुस्लिम शासक शेरशाह सूरी पर है, जिसमें 1543 में राजा पूरणमल को हराकर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को हटा दिया गया और एक मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। आजादी के बाद मंदिर और मस्जिद का विवाद फिर खड़ा हुआ जिसके बाद प्रशासन ने मंदिर पर ताला लगावा दिया।
1974 में मंदिर के ताला खुलवाने को लेकर एक बड़ा आंदोलन हुआ और तत्कालीन मुख्यमंत्री पीसी सेठी के हस्तक्षेप पर मंदिर के ताले खोले गए थे। महाशिवरात्रि पर खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कराई। इसके बाद हर शिवरात्रि को ही मंदिर के ताले खोले जाते है।