100 से अधिक देशों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का नेटवर्क, साल 2020 में बच्चों के खिलाफ 400% बढ़े साइबर क्राइम के मामले
चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर मध्यप्रदेश से सबसे अधिक शिकायतें,CBI के रडार पर प्रदेश
देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते मामलों के बाद सीबीआई ने 14 राज्यों की 77 जगहों पर छापेमार कर्रवाई कर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिश की है। सीबीआई ने ऑनलाइन बाल यौन शोषण मामले में 83 आरोपियों के खिलाफ 23 मामले दर्ज किए है। सीबीआई को छापे के दौरान जो इलेक्ट्रानिक गैजेट्स और दस्तावेज हाथ लगे है उसके मुताबित चाइल्ड पोर्नोग्राफी के नेटवर्क का 100 से अधिक देशों में फैले होने की जानकारी मिली है।
बच्चों के अश्लील वीडियो बनाने और उनको शेयर करने के मामले में सीबीआई की हुई बड़ी कार्रवाई में मध्यप्रदेश के ग्वालियर से भी गिरफ्तारी हुई है। ग्वालियर के अकबीबाड़ी गांव से गिरफ्तार राहुल राणा के घर से सीबीआई को चाइल पोर्नोग्राफी से जुड़े कई दस्तावेज हाथ लगे है। वहीं उसके कब्जे से बरामद किए गए लेपटॉप और मोबाइल टेंपर्ड मिले है और सीबीआई की टीम डाटा को रिकवर करने में जुटी है। इसके साथ राहुल राणा के प्रदेश में कई और लिंक मिले है।
मध्यप्रदेश से सबसे अधिक शिकायत-सूत्र बताते है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सीबीआई को सबसे ज्यादा शिकायतें मध्यप्रदेश से ही मिली है। प्रदेश में लोगों ने अपने मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप पर सबसे ज्यादा पोर्न सामाग्री पोस्ट की है। बीते एक साल में भोपाल में 2667, इंदौर में 1326, ग्वालियर में 183 और जबलपुर में 130 मामले सामने आ चुके है।
बच्चों के खिलाफ बढ़े साइबर क्राइम के मामले-नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) के रिकॉर्ड के मुताबिक देशभर में बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम के मामले 2019 की तुलना में 2020 में 400 फीसदी से ज्यादा बढ़े है। बच्चों के साथ साइबर अपराध के ज्यादातर मामले यौन कार्यों में बच्चों को दिखाने वाली सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण से जुड़े हुए हैं। एनसीआरबी के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक बच्चों के खिलाफ साइबर पोर्नोग्राफी के सबसे अधिक मामले उत्तरप्रदेश में 161,महाराष्ट्र में 123, कर्नाटक में 122, उड़ीसा में 78, तमिलनाडु में 28, मध्यप्रदेश में 20 आए है।
पोर्न की गिरफ्तर में युवा पीढ़ी–भारत में पोर्नोग्राफी कितनी तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है इसको केवल इससे समझा जा सकता है कि 10 में से 8 युवा 18 वर्ष की उम्र से पहले पोर्नोग्राफी देख लेते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक लगभग 80% युवा अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को साझा नहीं करते है। वहीं 15 से 19 साल की उम्र में पोर्न एडिक्ट होने की सबसे अधिक सम्भावना रहती है
पोर्न को बेहद खतरनाक मानते हुए मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आज इंटरनेट पर आसान से उपलब्ध होने वाली पोनोग्राफी रेप जैसे अपराधों को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा कारण साबित हो रही है। वह कहते हैं कि पोर्न की लत बच्चों और किशोरों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है और हमको सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा और अनिवार्य कर उसको तुरंत रोकना होगा नहीं को आने वाले समय की हम कल्पना भी नहीं कर सकते है।
पोर्नोग्राफी से नुकसान-पोर्नोग्राफ़ी को देखने से किशोरों में नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं,जो उनके मनोवैज्ञानिक और शारीरिक विकास दोनों को प्रभावित करते है। उनकी एकाग्रता और याददाश्त में कमी आ जाती है। इसका सबसे खतरनाक प्रभाव ये हैं कि महिलाओं के प्रति व्यवहार आक्रामक हो जाता है और युवा अश्लील छींटाकशी करके के साथ साथ अपराध की ओर बढ़ जाते है। मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि पोर्नोग्राफी की लत के चलते आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार भी आते है।
पेरेंट्स कब हो जाएं सतर्क -
-आपको कंप्यूटर पर अश्लील विडियो मिलते हैं।
-जब आप कमरे में प्रवेश करते हैं, बच्चा घबराकर मोबाइल/कंप्यूटर बंद कर देता है या स्क्रीन बदल देता है। -मोबाइल पर हर फंक्शन पास वर्ड लगा कर रखता है
-कंप्यूटर देखते समय अपने कमरे को बंद कर रखता है।
-बच्चा कंप्यूटर/मोबाइल से इन्टरनेट हिस्ट्री को हटा देता है।
-बच्चा रात में बहुत देर तक ऑनलाइन रहता है।
-बच्चा सब के सो जाने के बाद ऑनलाइन गतिविधियाँ शुरू करता है