Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भ्रष्टाचार को खुले रूप से दिया जा रहा है बढ़ावा

हमें फॉलो करें भ्रष्टाचार को खुले रूप से दिया जा रहा है बढ़ावा
webdunia

कीर्ति राजेश चौरसिया

मध्यप्रदेश। छतरपुर जिले में सरेआम फर्ज़ीवाड़े का मामला सामने आया है जहां जिले के बिजावर नगर (बिजावर विधानसभा) में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल के द्वारा डीसीए और पीजीडीसीए के लिए प्रदेश स्तर पर मान्यता देने के लिए 28 अक्टूबर 2016 को आवेदन मांगे गए थे।


जिसमें विश्‍वविद्यालय को प्रदेश के विभिन्न भागों से लगभग 3500 आवेदकों ने आवेदन भी दिए थे, जिसके बाद शुरुआती दौर से ही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से यह प्रक्रिया विवादों के घेरें में आने लगी थी, क्योंकि मान्यता देने के खेल में भ्रष्टाचार को हवा मिलने लगी थी और यह भ्रटाचार के कारण मान्यता की यह प्रक्रिया समाचार पत्रों के अलावा प्रादेशिक समाचार चैनलों की सुर्ख़ियों बनने लगी थीं।

इसी क्रम में विश्वविद्यालय का एक फर्जीवाड़ा बिजावर तहसील में भी देखने को मिला है। जानकारी के मुताबिक, बिजावर में भी 13 फ़रवरी 2018 को नौगांव निवासी अवधेश मिश्र के सेंटर मां शारदा कॉलेज ऑफ़ कम्प्यूटर साइंस को मान्यता देने के लिए एक निरीक्षण दल को टीकमगढ़ के व्याख्याता युगरंजन की अध्यक्षता में भेजा गया।

जहां पर निरीक्षण दल से सेंटिंग एवं पैसों का लेनदेन कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया और एक फर्नीचर की दुकान को ही फर्जी तरीके से जांच में कॉलेज की जगह दिखवा दिया गया। सूत्रों के अनुसार, निरीक्षण दल ने भी हाथ गरम हो जाने के बाद मान्यता देने में कोई आपत्ति नहीं दिखाई और उक्त कॉलेज को आसानी से मान्यता मिल गई।

अब वहीं निरीक्षण दल के चले जाने के बाद उक्त फर्नीचर की दुकान में पूर्व की भांति ही फर्नीचर, आशा कार्यालय एवं एक बीज भण्डार की दुकान संचालित होने लगी है। अब गौर करने वाली बात यह है कि विश्वविद्यालय स्तर पर मान्यता के नाम पर चलाए जा रहे गोरखधंधे और भ्रष्टाचार की जांच आखिर कब होगी और दोषियों पर करवाई होगी या नहीं। ये तो आने वाला समय ही बताएगा। मामला यहीं नहीं सिमटा, बल्कि इस तरह के फर्जीवाड़े सिर्फ छतरपुर में ही नहीं अन्य जिलों सहित प्रदेशभर में चल रहे हैं।

भ्रष्टाचार की जांच की शिकायत पर कोई करवाई नहीं : बिजावर में हुए विश्वविद्यालय के अधिकारीयों के भ्रष्टाचार की शिकायत भी की जा रही है एवं उक्त कॉलेज को मिली मान्यता एवं जगह की जांच की मांग भी समाजसेवियों के द्वारा लिखित रूप में विश्वविद्यालय के रेक्टर द्वारा की गई है, लेकिन अपने अधिकारियों की संलिप्तता के चलते विश्‍वविद्यालय कोई करवाई नहीं कर रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सांसदों के भत्ता बढ़ाने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी