इंदौर। सोशल मीडिया पर इंदौर शहर की एक बच्ची का फोटो वायरल होता है और मदद की अपील जारी हो जाती है, यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी इस वायरल मैसेज के आधार पर जरूरी दिशा-निर्देश भी दे देते हैं। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि जिस व्यक्ति ने यह फोटो वायरल किया, क्या उसने हकीकत जानने की कोशिश की कि वाकई इस बच्ची को मदद जरूरत है भी या नहीं।
शिवराज जी ने वायरल मैसेज पर रिट्वीट भी किया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए। जिम्मेदार अधिकारियों ने मासूम बच्ची के पिता से संपर्क भी किया गया। बच्ची के पिता नीरज विश्वकर्मा ने विनम्रतापूर्वक यह कहते हुए मदद की पेशकश ठुकरा दी कि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।
बच्ची के पिता नीरज विश्वकर्मा ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि उनकी बेटी उनकी सर्वेंट के बच्चों के साथ खेलती है। ...और सर्वेंट का पति फल की दुकान लगाता है। ऐसे में उनकी बेटी भी खेलते-खेलते वहां बैठ गई होगी। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि फोटो वायरल करने वाले का इंटेशन गलत नहीं रहा होगा, लेकिन वायरल करने से पहले पूरी तहकीकात अवश्य करना चाहिए।
नीरज ने कहा इस फोटो के वायरल होने के बाद मेरे परिचितों के लगातार फोन आने लगे। उन्होंने मुझसे पूछा कि ऐसा क्या हो गया कि आपको इस तरह मदद की जरूरत पड़ गई। उन्होंने कहा कि मुझे लोगों को बार-बार समझाना पड़ा कि मुझे किसी प्रकार की मदद की जरूरत नहीं है। जरूरत पड़ने पर मैं दूसरों की मदद करने में सक्षम हूं।
विश्वकर्मा ने कोरोना काल में मुद्दे को गंभीरता से लेने के लिए मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया और अपील की है कि इस दौर में जो असली जरूरतमंद हैं, उनके लिए इसी तरह शासन-प्रशासन सक्रियता दिखाए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोई भी फोटो या जानकारी वायरल करने से पहले हम उसकी असलियत की पुष्टि जरूर करें। ताकि इस तरह की स्थिति निर्मित न हो।