मध्यप्रदेश में हुए भव्य स्वागत को जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगी : द्रौपदी मुर्मू
NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का भोपाल में भव्य स्वागत
भोपाल। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मूर्मु शुक्रवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल आकर पार्टी विधायकों का समर्थन मांगा। द्रौपदी मुर्मू के स्वागत के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ तमाम बड़े नेता स्टेट हैंगर पहुंचे। स्टेट हैंगर पर द्रौपदी मुर्मू का आदिवासी रीति-रिवाज के साथ भव्य स्वागत किया गया। स्वागत कार्यक्रम के बाद द्रौपदी मुर्मू मख्यमंत्री निवास पहुंची जहां आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने भाजपा विधायकों और सांसदों को संबोधित किया।
भाजपा के विधायकों और सांसदों को संबोधित करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मध्यप्रदेश में उनका जिस तरह से भव्य स्वागत किया गया है उसको वह अपनी जिंदगी में कभी भी भूल नहीं पाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 4-4 बार मुख्यमंत्री बने हैं। यह राज्य हमारा है इसलिए इस राज्य का सहयोग समर्थन मुझे मिलेगा,लेकिन फिर भी चाहा कि मुझे जाना ही है।
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने पर कांग्रेस के सवाल उठाने पर कहा कि कांग्रेस में सवाल उठ रहे हैं कि द्रोपदी मुर्मू क्यों नहीं ? ऐसी हलचल किसी उम्मीदवार के नाम पर शायद भारत की धरती पर पहली बार मची है कि लोग सोचने पर विवश है। कि दीदी क्यों नहीं, द्रोपदी मूर्मु क्यों नहीं?
वहीं राष्ट्रपति चुनाव क्रॉस वोट के लिए कांग्रेस विधायकों को ऑफर किए जाने के कमलनाथ के आरोप पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी तो शुद्ध रूप से अपना काम करती है,लेकिन बेचैनी वहाँ भी है कि वोट न चले जाये, कहीं वोट ना चले जाए।
उसके बाद बात की जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी वाले किसी को प्रलोभन दे रहे हैं, किसी को खरीदने की बात कर रहे हैं अरे यहाँ तो पहले से ही इतने वोट है कि प्रलोभन का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता। आज पूरा देश द्रौपदी मूर्मु के साथ खड़ा हुआ है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने दौपद्री मुर्मू की सादगी और सरलता की तारीफ करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनने के बाद मंदिर में झाड़ू लगा रही थी। वहीं मंत्री और राज्यपाल होने के बाद भी उन्होंंने गांव को रहने के लिए चुना।