मुंबई। राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना के समर्थन से एकनाथ शिंदे गुट के साथ-साथ पूर्व सहयोगी भाजपा (BJP) के साथ सुलह समझौते की संभावना पैदा हो गई है।
मुंबई राजनीतिक पर्यवेक्षकों में से एक ने कहा कि महाविकास आघाड़ी (MVA) के अपने सहयोगियों से अलग जाकर ठाकरे ने दिखाया है कि वे एमवीए को पूरी तरह से छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुर्मू को समर्थन किए जाने से भविष्य में मेल-मिलाप और के लिए दरवाजे खुले रह सकते है।
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर ठाकरे का भाजपा से मतभेद हो गया था। जब शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने पिछले महीने ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था, तो उन्होंने दावा किया था कि वे भाजपा के साथ स्वाभाविक गठबंधनको फिर से बनाना चाहते हैं।
उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने और शिंदे के भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद राहुल शेवाले जैसे शिवसेना सांसदों ने खुलेतौर पर ठाकरे से राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार का समर्थन करने का आग्रह किया था।
एक अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि ठाकरे के फैसले के ज्यादा मतलब नहीं निकाले जाने चाहिए। शिवसेना ने कई बार एक अलग रुख अपनाया था, तब भी जब वह भाजपा की सहयोगी थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा था कि वे चाहते हैं कि तीन एमवीए सहयोगी - ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस - सभी चुनाव एक साथ मिलकर लड़ें, लेकिन बुधवार को उन्होंने कहा कि राकांपा मुंबई निकाय चुनाव सक्रियता से लड़ेगी और उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से शहर में राकांपा को मजबूत करने का आह्वान किया।
महाराष्ट्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि वे शिवसेना के फैसले से हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है कि कौन अधिक हिन्दुत्ववादी पार्टी है। शिवसेना को यह साबित करना होगा कि वह अपना राजनीतिक आधार बनाए रखने के लिए भाजपा से आगे है।
महाजन ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की धमकी एक और कारक है। उन्होंने कहा कि एमवीए का गठन एक राजनीतिक और वैचारिक गलती थी और इसकी सरकार पूरे कार्यकाल तक नहीं चल पाती। मैंने पहले भी पार्टी मंचों पर यह बात कही थी। (इनपुट भाषा)