देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के UGC के तत्वाधान में मानव संसाधन विकास केंद्र में आयोजित फैकल्टी गुरु-दक्षता कार्यक्रम में स्वच्छता की ब्रैंड अम्बैसेडर जनक पलटा मगिलिगन ने अपने 16 दिवसीय स्वच्छता जागरूकता अभियान के 15वें दिन अपने अनुभव साझा किए।
इंदौर हमारा है, हम इसके है, मुझे गर्व है मेरा जीवन स्वच्छ व आत्मनिर्भर भारत को समर्पित है। इंदौर चार बार स्वच्छतम बना है अब फिर पांचवीं बार स्वच्छ बनाना है। आत्मनिर्भर भारत बनाना है।
उन्होंने कहा, पिछले 36 साल में जो सीखा वही कर रही हूं। कचरामुक्त और आत्मनिर्भर भारत। झाबुआ में आदिवासियों के बीच 302 गांवों में 302 दिनों तक रहकर स्थानीय लोगों को नारू रोग से मुक्त होने का प्रशिक्षण दिया। यूएनईपी कार्य की सराहना करते हुए वर्ष 1992 में रिओ डि जेनेरियो में पृथ्वी सम्मेलन के दौरान बरली संस्थान को ग्लोबल 500 रोल ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया। वहीं से हमने महामारी से बचना सीखा।
उन्होंने कहा, सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए सस्टेनेबल जीवन शैली जरूरी है। हमारी भूलों के चलते प्रकृति पर पड़ रहे बुरे असर को हम तभी खत्म कर सकते हैं जब हम तय करें कि हमारे सभी काम सस्टेनेबल होंगे। हमारे पास सौर ऊर्जा जैसा अक्षत भंडार है जो पूरी तरह प्राकृतिक भी है। प्रकृति पर निर्भरता के क्षेत्र में 86000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया। जैविक खेती की। जैविक भोजन अपनाया। दूसरों को भी जैविक खेती व जैविक भोजन व सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए प्रेरित किया।