खजुराहो नृत्य समारोह का छठा दिन : भारतीय शास्त्रीय नृत्यों से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
वातावरण में घुला घुंघरुओं का कलरव
Khajuraho Dance Festival : नृत्यों में जीवन का आनंद है फिर प्रेम प्रतिमाओं की नगरी खजुराहो में घुंघरुओं का कलरव हो तो यह आनंद और बढ़ जाता है। खजुराहो नृत्य महोत्सव के छठे रोज भी भारतीय शास्त्रीय नृत्यों और उनकी अंतरछबियों का जादू सिर चढ़कर बोला। बड़ी संख्या में दुनिया भर से आए रसिकों ने नृत्य समारोह का आनंद लिया।
आज की सभा का शुभारंभ पुणे से आईं प्रेरणा देशपांडे के कथक नृत्य से हुआ। प्रेरणा पुणे में नृत्यधाम संस्था भी चलाती हैं। उन्होंने शिव वंदना से नृत्य का आरंभ किया।
उसके पश्चात तीनताल में शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने कुछ तोड़े टुकडे परने आदि की पेशकश दी। नृत्य का समापन उन्होंने रामभजन से किया। उनके साथ तबले पर सुप्रीत देशपांडे, सितार पर अनिरुद्ध जोशी, गायन में ऋषिकेश बडवे, हारमोनियम पर यश खड़के, और पढंत पर ईश्वरी देशपांडे ने साथ दिया।
देश के जाने माने कथक गुरु और हाल ही में जिनके निर्देशन में कथक कुंभ में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना ऐसे पंडित राजेन्द्र गंगानी ने भी आज समारोह में नृत्य प्रस्तुति देकर चार चांद लगा दिए। उन्होंने शिव स्तुति से नृत्य का शुभारंभ किया। नृत भावों से उन्होंने भगवान शिव को साकार करने की कोशिश की।
इसके बाद तीन ताल में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने तोड़े, टुकड़े परणे, उपज का काम दिखाया और कुछ गतों का काम भी दिखाया।नृत्य का समापन उन्होंने राम स्तुति - "श्री रामचंद्र कृपालु भजमन " पर भाव पूर्ण नृत्य पेश कर किया। उनके साथ तबले पर फतेह सिंह गंगानी, गायन में माधव प्रसाद, पखावज पर आशीष गंगानी और सारंगी पर अमीर खां ने साथ दिया।
तीसरी प्रस्तुति में बैंगलोर से आई नव्या नटराजन का भरतनाट्यम नृत्य हुआ। नव्या जी ने आज वर्णम की प्रस्तुति दी। भरतनाट्यम में वर्णम एक खास चीज है। इस प्रस्तुति में नव्या ने भगवान शिव के तमाम स्वरूपों को नृतभावों में पिरोकर पेश किया।
उन्होंने नृत्त भावों के साथ लय के ताल मेल और आंगिक संतुलन को बखूबी दिखाया। राग नट कुरिंजी के सुरों और आदिताल में सजी रचना - पापना सम शिवम के साथ रावण द्वारा रचित शिवतांडव के छंदों पर नव्या ने भरतनाट्यम की तैयारी और तेजी दोनो का प्रदर्शन किया। उनके साथ गायन में रघुराम आर, नटवांगम पर डीवी प्रसन्न कुमार, मृदंगम पर पी जनार्दन राव और बांसुरी पर रघुनंदन रामकृष्ण ने साथ दिया।
आज की सभा का समापन बनारस आईं डॉ. विधि नागर और उनके साथियों के कथक नृत्य से हुई। देश की एकमात्र डी लिट और टॉप ग्रेड कथक नृत्यांगना विधि नागर ने तीव्रा ताल में निबद्ध राग गुणकली में ध्रुपद की बंदिश "डमरू हर कर बाजे " पर बड़े ही ओजपूर्ण ढंग से नृत्य प्रस्तुति दी।
उन्होंने भगवान विश्वनाथ के सौंदर्य को नृतभावों में सामने रखा। अगली प्रस्तुति समस्या पूर्ति की थी। इसमें उन्होंने साहित्य और नृत्य का समावेश दिखा। राग शिवरंजनी की रचना " केहि कारन सुंदरी हाथ जरयो" के जरिए उन्हों भाव पेश किया। फिर दरबारी में उन्होंने शुद्ध नृत्य से कथक का तकनीकी पक्ष दिखाया।
काफी की ठुमरी - कहा करूं देखो गाड़ी डेट कन्हाई " पर भी उन्होंने सोलो नृत्य पेश कर भावाभिनय पेश किया। नृत्य का समापन उन्होंने संलयन्म से किया।
इन प्रस्तुतियों में उनके साथ शिखा रमेश अदिति थपलियाल, अमृत मिश्रा। रागिनी कल्याण और चित्रांशी पाणिकर ने नृत्य में सहयोग किया। जबकि विशाल मिश्र ने गायन एवं हारमोनियम, आनंद मिश्र ने तबला, आदित्य दीप ने पखावज सुधीर कुमार ने बांसुरी, उमेश मिश्र ने सारंग, रनित चटर्जी ने सितार पर साथ दिया।