विपक्ष में बैठने जा रही भाजपा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर जबरदस्त खींच तीन मची हुई है। सात जनवरी से शुरू हो रहे 15वीं विधानसभा के पहले सत्र से पहले पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना है, लेकिन अब तक पार्टी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है।
विधानसभा में कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए भाजपा को एक ऐसे दमदार नेता की तलाश है, जिसके सवालों का जवाब देना सत्ता पक्ष के लिए आसान न हो, अगर बात करें तो भाजपा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे नाम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का ही है।
सूबे में कांग्रेस सरकार बनने के बाद चौहान कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई भी मौका चूक भी नहीं रहे हैं। बात चाहे वंदेमातरम् पर उठे ताजे विवाद की हो या कांग्रेस के किसानों के कर्जमाफी के एलान की, शिवराज ने कांग्रेस की सरकार को घेरने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दिया है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की मिली हार के बाद जब सियासी गलियारों में शिवराज के दिल्ली जाने की अटकलें लगने लगी थीं तब खुद शिवराजसिंह चौहान ने आगे आकर साफ कर दिया है कि मध्यप्रदेश में ही रहेंगे और अंतिम सांस तक जनता की सेवा करेंगे। ऐसे में 13 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले शिवराज को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलती है तो सतारूढ़ पार्टी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय हैं।
वहीं भाजपा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में दूसरा नाम पूर्व संसदीय कार्य मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा का है। बीजेपी की सरकार के समय विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट में माहिर समझे जाने वाले नरोत्तम मिश्रा की भूमिका उस वक्त बहुत अहम हो जाती है जब विधानसभा में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों की संख्या में बहुत कम अंतर है।
अगर बात करें विधानसभा के मौजूदा सियासी समीकरण की तो सदन में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 है, वहीं सपा, बसपा और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सदन में सत्तापक्ष के समर्थन में संख्या बल 121 पहुंचता है, वहीं भाजपा 109 विधायकों के साथ सदन में कांग्रेस पर हावी होने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहेगी। ऐसे में भाजपा को जरूरत एक ऐसे नेता प्रतिपक्ष की है जो कांग्रेस को घेरने में कोई भी मौका नहीं छोड़े। ऐसे में नरोत्तम मिश्रा का पलड़ा भारी दिखता है।
भाजपा मौका आने पर सदन में कांग्रेस को मात देने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में सियासत में जोड़तोड़ के माहिर खिलाड़ी समझे जाने वाले नरोत्तम मिश्रा की भूमिका काफी अहम हो जाती है। नरोत्तम मिश्रा का पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी होना भी उनके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी बनाकर उन पर एक बार फिर अपना विश्वास जताया है।
भाजपा के ओर से नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में तीसरा नाम पार्टी के सीनियर विधायक गोपाल भार्गव का है। भार्गव का पिछले दिनों भोपाल में संघ के मुख्यालय समिधा पहुंचकर संघ के बड़े नेताओं से मिलना उनकी दावेदारी को और मजबूत बना रहा है। भार्गव का संसदीय कामों की जानकारी और उनकी वरिष्ठता नेता प्रतिपक्ष के पद की दौड़ में उनकी दावेदारी को मजबूत बना रहा है।
नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में चौथा नाम पूर्व गृहमंत्री और पार्टी के सीनियर नेता भूपेंद्रसिंह का है। सिंह की सबको साथ लेकर चलने और पार्टी में सर्वमान्यता उनको प्रतिपक्ष की दौड़ में आगे रखती है।
ऐसे में जब अब विधानसभा सत्र शुरू में होने में कम समय बचा है, तब नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है। वहीं दूसरी ओर आज शिवराजसिंह चौहान दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से इस पूरे मामले पर चर्चा कर सकते हैं और माना जा रहा है कि शाह नेता प्रतिपक्ष के नाम पर कोई अंतिम फैसला करेंगे।