भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा उपचुनावों में 19 सीटों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक विजय हासिल की है, जबकि कांग्रेस को मात्र 9 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। उपचुनावों में 3 मंत्रियों को भी पराजय झेलना पड़ी है।
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उपचुनाव में मुख्य रूप से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी और नतीजों के साथ कांग्रेस की सत्ता में वापसी के दावे खोखले साबित हुए। राज्य की 7 माह पुरानी शिवराजसिंह चौहान सरकार को और मजबूती हासिल हुई है।
सरकार के तीन मंत्री इमरती देवी, ऐदल सिंह कंसाना और गिर्राज डंडोतिया क्रमश: डबरा, सुमावली और दिमनी में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस के सुरेश राजे, अजब सिंह कुशवाह और रविंद्र सिंह तोमर से चुनाव में पराजित हो गए हैं। इन्हें क्रमश: सात हजार से अधिक मतों से, 10 हजार से अधिक और 26 हजार से अधिक मतों से पराजय झेलना पड़ी है।
उपचुनाव में कुल 12 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी। शेष 9 मंत्री अपने अपने क्षेत्र में विजयी हुए हैं। सांची से स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी 63 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए हैं। इसके अलावा भांडेर में रोचक मुकाबला देखने को मिला, जहां कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व प्रदेश बसपा प्रमुख फूलसिंह बरैया भाजपा प्रत्याशी रक्षा संतराम सिरोनिया से मात्र 51 वोट से पराजित हो गए। (वार्ता)
सुरखी से पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विजयी हुए हैं। सांवेर में पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को 50 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया। बदनावर से मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव विजयी हुए हैं।
कुल 28 सीटों में से 25 पर संबंधित विधायकों के त्यागपत्र और 3 अन्य पर विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हुए हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों के अनुसार इन 28 सीटों में से 27 पर कांग्रेस का और एकमात्र आगर सीट पर भाजपा का कब्जा था।
230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में वर्तमान (उपचुनाव के पूर्व की स्थिति) में 201 विधायक हैं। इनमें से भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। उपचुनाव नतीजों के बाद अब भाजपा के 126 और कांग्रेस के 96 विधायक हो गए हैं। कुल 29 सीट रिक्त थीं, जिनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। दमोह सीट हाल ही में कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के विधायक पद से त्यागपत्र देने के कारण रिक्त हुई है। त्याग-पत्र देने के बाद सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं।
विधानसभा में सभी 230 विधायक होने की स्थिति में किसी भी दल को बहुमत साबित करने के लिए न्यूनतम 116 विधायकों की आवश्यकता है। राज्य में जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, मलेहरा, अनूपपुर, सांची, ब्यावरा, आगर, हाटपीपल्या, मांधाता, नेपानगर, बदनावर, सांवेर और सुवासरा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं।