खबर का असर : MP में महंगी शराब बेचने पर लगेगी नकेल,कस्टमर को देना होगा बिल,शराब दुकानों पर लगेंगे आबकारी अफसरों के नंबर
कैश मैमो की कॉपी आबकारी विभाग में करनी होगी जमा
भोपाल। मध्यप्रदेश में महंगी और जहरीली शराब की बिक्री को लेकर वेबदुनिया की खबर का बड़ा असर हुआ है। प्रदेश में तय रेट से अधिक दाम पर शराब बिक्री पर नकेल कसने के लिए आबकारी विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शराब दुकानदार द्धारा ग्राहक के शराब खरीदने पर बिल (केश मेमो) देने को अनिवार्य कर दिया है। आबकारी आयुक्त की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। आबकारी आयुक्त की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक प्रदेश की देशी एवं विदेशी शराब दुकानों पर एक सितम्बर से बिक्री की जाने वाली शराबद का ग्राहक को बिल (केश मेमो) दिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। शराब दुकानों की केश मेमो संबंधी बिल बुक जिला आबकारी कार्यालय से अनिवार्य रूप से प्रमाणित कराई जायेगी और बिक्री के बाद बिल की कार्बन कॉपी अनिवार्य रुप से जमा करनी होगी।
इसके साथ शराब दुकानों पर आबकारी विभाग के एक अधिकारी का मोबाइल नम्बर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए है। जिससे खरीदी की गई शराब का बिल या केस मेमो नहीं मिलने पर उक्त नम्बर पर शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी।
महंगी शराब का वेबदुनिया ने उठाया था मुद्दा- गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में शराब की तस्करी और मिलावटी शराब की ब्रिकी का सबसे बड़ा कारण शराब का सबसे महंगा होना है और इस मुद्दे को वेबदुनिया ने प्रमुखता से उठाया था। इंदौर में मिलावटी शराब पीने से सात लोगों की संदिग्ध मौत के साथ-साथ मंदसौर में भी जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले मुरैना,उज्जैन और रतलाम में जहरीली शराब ने कई की जान ले ली थी। अगर प्रदेश में पिछले एक साल में जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में मरने वाले मामलों पर गौर करें तो मुरैना में 28, उज्जैन में 16 और रतलाम में करीब 11 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो चुकी है।
मिलावट और तस्करी के पीछे महंगी शराब!- नकली और मिलावटी शराब से हो रही मौतों पर वेबदुनिया की पड़ताल पर इसका खुलासा हुआ था कि प्रदेश में अवैध और नकली/मिलावटी शराब की बिक्री का सबसे बड़ा कारण शराब का महंगा होना था। प्रदेश में जहरीली और मिलावटी शराब की तस्करी और बिक्री का सबसे बड़ा कारण शराब सिंडिकेट है। लाइसेंसी शराब दुकानों पर शराब सिंडिकेट द्धारा मनमाने दामों पर महंगी शराब बेचे जाने से अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। लाइसेंसी दुकानों पर शराब अधिक महंगी होने के चलते अवैध शराब की मांग तेजी से बढ़ रही है।
प्रदेश में पिछले 2 सालों में शराब के दाम आसमान पर पहुंचने के चलते अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक मिलावटी शराब की बिक्री से शराब तस्कारों को 6 से 8 गुना तक मुनाफा मिलता है। शराब कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो नकली शराब बनाने वाले मात्र 10 ML अल्कोहल मिलाकर खाने वाला कलर मिलाकर 10 लीटर शराब तैयार कर लेते हैं।
MP में पड़ोसी राज्यों से महंगी शराब-मध्यप्रदेश से सटे राज्यों की तुलना में प्रदेश में शराब की कीमतें करीब दो गुना है जिसके चलते पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी भी खूब हो रही है। दिल्ली और उत्तरप्रदेश की तुलना में प्रदेश में शराब की कीमतें डेढ़ से दो गुना अधिक है। मध्यप्रदेश में शराब के रेट पड़ोसी राज्यों से अधिक होने का सबसे बड़ा कारण शराब पर अधिक टैक्स और सेस होना है।
प्रदेश में बिक्री रही जहरीली शराब के साथ महंगी शराब में मिलावट करने वाले बड़े गिरोह का खुलासा पिछले दिनों राजधानी भोपाल में हुआ। आबकारी विभाग की टीम ने एक ऐसे गिरोह को गिफ्तार किया जो दिल्ली और चंडीगढ़ से सस्ती शराब लाकर राजधानी समेत दूसरे जिलों में मिलावटी शराब की सप्लाई कर रहा था।
शराब माफिया और अफसरों की जुगलबंदी-मध्यप्रदेश में लगातार अवैध जहरीली शराब की बिक्री के बाद आबकारी विभाग के साथ प्रशासन भी सवालों के घेरे में है। इंदौर, मंदसौर, खरगौन समेत प्रदेश के कई जिलों में जहरीली शराब से हुई मौत मामले में जो खुलासे हुए है उसके मुताबिक अवैध शराब का गोरखधंधा शराब ठेकेदार और जिम्मेदार अफसरों की सांठगांठ से बदस्तूर जारी है। शराब माफियाओं और अफसरों की सांठ-गांठ को इससे समझा जा सकता है कि तस्करों को शराब की सप्लाई शराब फैक्ट्रियों से ही की जाती है जबिक इन फैक्ट्रियों से शराब निकासी की निगरानी आबकारी अफसरों की निगरानी में होती है।