इंदौर। वायु प्रदूषण के कारण अकेले भारत में हर साल करीब 9 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो जाती है। हर साल 3 लाख बच्चे अस्थमा का शिकार हो रहे हैं। ऐसी ही और भी कई समस्याएं हैं, जो वायु प्रदूषण के कारण देखने को मिल रही हैं। हाल ही में इंदौर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक वर्कशॉप में वायु प्रदूषण से जुड़े मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की गई।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 'क्लीन एयर केटालिस्ट' अर्थात स्वच्छ वायु उत्प्रेरक के तहत तीन दिनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप का आयोजन यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट तथा वल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, इनवायरनमेंटल डिफेंस फंड और इंटरन्यूज ने संयुक्त रूप से किया था।
कार्यशाला का उद्देश्य मीडिया के माध्यम से वायु प्रदूषण को लेकर व्यापक रूप से जागरूकता पैदा करना, इसके लिए जरूरी डाटा एकत्रित करना तथा वायु प्रदूषण के कारण होने वाले व्यापक नुकसानों को सामने लाना था। इसमें वायु प्रदूषण के कारणों, साइड इफेक्ट्स, उसे नियंत्रित करने की तकनीक और सामाजिक उपायों पर गंभीरता से चर्चा हुई। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह वर्कशॉप काफी उपयोगी साबित हुई।
कार्यशाला के पहले दिन एन्वायरनमेंटल डिफेंस के फंड के कौशिक हजारिका ने बताया कि दुनिया के तीन शहरों को वायु प्रदूषण को लेकर इस तरह की वर्कशॉप के लिए चुना गया। इनमें भारत में इंदौर, इंडोनेशिया में जकार्ता और अफ्रीका में नैरोबी को चुना गया।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और गुणवत्ता विशेषज्ञ सैयद जावेद अली ने इंदौर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन किस कुशलता से किया गया, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंदौर में यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि इसके लिए यहां प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक रूप से भरपूर समर्थन मिला।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की इंदौर प्रयोगशाला के प्रमुख रहे डॉ. दिलीप वाघेला इंदौर में प्रदूषित जल प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। सौरभ पोरवाल ने वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर चर्चा की। डॉ. निवेदिता बर्मन ने दूषित हवा से होने वाली फेफड़ों की बीमारी के बारे में विस्तार से बताया। इस वर्कशॉप में वायु प्रदूषण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही तीसरे दिन प्रतिभागियों को इंदौर के समीप प्रमुख औद्योगिक केन्द्र पीथमपुर का भ्रमण कराया, जहां उन्होंने वायु प्रदूषण और उससे पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में स्थानीय लोगों से सीधे चर्चा की। कार्यशाला के दौरान इंटरन्यूज के सुधीर गोरे ने प्रतिभागियों को आवश्यक जानकारियां उपलब्ध करवाईं।
डराने वाले हैं ये आंकड़े : एक जानकारी के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.05 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। यह नुकसान कुल जीडीपी के 5.4 फीसदी के बराबर है। इतना ही नहीं हर साल वायु प्रदूषण से देश में करीब 9 लाख 80 हजार मौतें असमय होती हैं। हर साल 3 लाख बच्चे अस्थमा का शिकार हो रहे हैं। 24 लाख लोगों को सांस की बीमारी के कारण अस्पताल जाना पड़ता है। इन सबके के चलते साल में 49 करोड़ काम के दिनों का नुकसान होता है। भारत में होने वाले वायु प्रदूषण में धूल और धुएं के कणों की 59 फीसदी भागीदारी होती है।
इंदौर नगर निगम की अनूठी पहल : इसी क्रम में इंदौर नगर निगम ने वायु प्रदूषण को नियंत्रिण करने के लिए अनूठी पहल की है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर शहर में 4 नए कंटिन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन (CAAQMS) बनाए जाएंगे। इस पर 3 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
दरअसल, इंदौर का नाम देश के 122 ऐसे शहरों में शामिल हैं, जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है। इसके बाद क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत यह जरूरी किया गया है कि ऐसे शहरों में कम से कम 4 स्टेशन होना चाहिए, ताकि पूरे शहर की सही स्थिति का पता लगाया जा सके। इन स्टेशनों से हर पल हवा में घुले सूक्ष्ण धूल कणों के साथ ही घातक गैसों की भी मॉनीटरिंग की जाएगी।