इंदौर। चिकित्सा महाविद्यालयों के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए जुलाई के दौरान आयोजित राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) में एक मेधावी छात्रा को शून्य अंक दिए जाने पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) से इस उम्मीदवार का मूल रिकॉर्ड तलब किया है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने राज्य के आगर-मालवा जिले की परीक्षार्थी लिपाक्षी पाटीदार (19) की याचिका पर मंगलवार को यह आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के एक वकील ने परीक्षार्थी का मूल रिकॉर्ड मंगाने के लिए हफ्ते भर की मोहलत मांगी और इस गुहार को अदालत ने मंजूर कर लिया।
एकल पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की और कहा कि अगर जरूरत हो तो सरकार की ओर से इस तारीख तक परीक्षार्थी की याचिका पर संक्षिप्त जवाब प्रस्तुत किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील धर्मेन्द्र चेलावत ने बताया कि उनकी मुवक्किल लिपाक्षी ने 17 जुलाई को आयोजित नीट परीक्षा में 200 में से 161 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के जवाब दिए थे और उसे अपने चयन का भरोसा था, लेकिन 7 सितंबर को परिणाम आया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि उसे इसमें शून्य अंक दिया गया था।
उन्होंने बताया कि जब उनकी मुवक्किल ने उसे ई-मेल से भेजी गई ओएमआर उत्तर शीट देखी, तो उसे फिर सदमा लगा क्योंकि यह पूरी तरह कोरी थी और इसमें एक भी जवाब दर्ज नहीं था।
चेलावत ने बताया कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 80 प्रतिशत से ज्यादा अंकों से उत्तीर्ण करने वाली याचिकाकर्ता को संदेह है कि फर्जीवाड़े के जरिये उसकी ओएमआर उत्तर शीट बदल दी गई है।