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प्रवासी मजदूरों के लिए मध्यप्रदेश में प्रवासी श्रमिक आयोग का गठन, राज्य में ही मिलेगा रोजगार

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विकास सिंह

भोपाल। कोरोना काल में बाहर के राज्यों से मध्यप्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने और उनके भविष्य को लेकर योजना तैयार करने को लेकर शिवराज सरकार ने प्रवासी श्रमिक आयोग का गठन कर दिया है। आयोग के गठन के बाद अब मध्यप्रदेश के लोगों को प्रदेश में रोजगार देने का रास्ता साफ हो गया है।
 
मुख्यमंत्री ने किया था ऐलान - प्रवासी श्रमिक आयोग के बनाने का ऐलान खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई को करते हुए कहा था कि कोरोना संकट काल में प्रदेश लौटे हर प्रवासी मजदूर को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार दिलवाने व उनके परिवार के कल्याण तथा विकास के लिए सरकार एक आयोग का गठन करेगी।

मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को हुई परेशानी को ध्यान में रखते हुए कहा था कि सरकार प्रदेश में ही उनकी आजीविका को इतना सुगम बनाएगी कि उन्हें दोबारा आजीविका के लिए दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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आयोग का स्वरूप और कार्य - मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शुक्रवार को श्रम विभाग ने राज्य श्रमिक आयोग के गठन के आदेश जारी कर दिए गए। आयोग का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। आयोग का अध्यक्ष राज्य शासन द्वारा नामांकित व्यक्ति होगा।
 
राज्य शासन ने आयोग के कर्त्तव्य एवं उद्देश्य निर्धारित किए हैं। आयोग को राज्य के प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सिफारिशें प्रस्तुत करना होंगी। आयोग सदस्यों से अथवा अन्य व्यक्तियों, संगठनों, विभागों, मण्डलों आदि से आवश्यक परामर्श करते हुए राज्य शासन को अपने सुझाव, अनुशंसाएँ एवं सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।

इसमें प्रवासी श्रमिकों के कल्याण, रोजगार के अवसरों के सृजन तथा प्रवासी श्रमिकों एवं उनके परिवार के कौशल विकास और हित संरक्षण के लिए प्रचलित कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन शामिल है। इसी के साथ आयोग प्रवासी श्रमिकों एवं उनके परिवार को राज्य की प्रचलित सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं में लाभ प्रदान करने की तथा प्रवासी श्रमिकों के हित में कोई अन्य अनुशंसा कर सकेगा।
 
आयोग में राज्य शासन द्वारा नामांकित दो सदस्य होंगे। श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि आयोग का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश राज्य होगा। इसके अंतर्गत ऐसे प्रवासी श्रमिक, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं, जो अन्य राज्य में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे थे और एक मार्च, 2020 या उसके बाद मध्यप्रदेश वापस लौटे हैं, आएंगे। ऐसे श्रमिकों को राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं और राज्य या केन्द्र के अधिनियमों में हितलाभ दिया जाएगा।

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