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लोकसभा चुनाव में हार के बाद तैयार होगी कांग्रेस की नई टीम, जीतू पटवारी की समझाइश, पार्ट टाइम नहीं है राजनीति

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विकास सिंह

, सोमवार, 10 जून 2024 (17:50 IST)
लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सूफड़ा साफ होने के बाद अब कांग्रेस नए सिरे से पार्टी संगठन में कसावट लाने में जुट गई है। सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की अध्यक्षता में युवा कांग्रेस की बैठक हुई। वहीं बैठक में शामिल होने से पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा इस महीने के अंत तक वह अपनी नई टीम का गठन कर लेंगे। 

नई सिरे से संगठन को खड़ा करने की कवायद- लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं के बड़ी संख्या में पार्टी छोडने के बाद अब संगठन को नए सिरे से खड़ा करने  की कवायद शुरु हो गई है। युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जीतू पटवानी ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम है। सभी कार्यकर्ता ये समझ लें की राजनीति पार्ट टाइम नहीं फुल टाइम जॉब है सभी पूर्ण रूप से जनता के मुद्दे उठाने के लिये मैदान में उतर जायें। उन्होंने कहा कि संगठन को पंचायत, ब्लांक  और वार्ड स्तर तक मजबूत बनाना है। पार्टी को मजबूत करने के लिये इरादे मजबूत करने होंगे। सभी लम्बी लड़ाई लड़ने के तैयार रहें।

बैठक में युवा कांग्रेस ने "क्या हुआ तेरा वादा" नाम से एक कार्यक्रम लांच किया जिसके तहत युवा कांग्रेस मप्र सरकार को विधानसभा चुनाव 2023 में किये हुए झूठे वादे याद दिलायेगी और उन वादों को पूरा कराने के लिये सरकार से जनता की लड़ाई लड़ने का कार्य करेंगे जिससे जनता से वादा खिलाफी न हो ।

गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी का अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाने को लेकर लोकसभा चुनाव के दौरान खूब सवाल उठे थे, इसके साथ उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी के नेतृत्व पर लोकसभा चुनाव में खूब सवाल उठे थे। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने नेतृत्व परिवर्तन हुआ और जीतू पटवारी को पार्टी की कमान सौंपी गई, उससे कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे नाराजगी नजर आई थी।

गौरतलब है लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 3 विधायकों ने पार्टी छोड़े दी थी और उनके निशाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी थे। बीना विधायक निर्मला सप्रे ने पार्टी छोड़ने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान को जिम्मेदार ठहराया था। इसके साथ कांग्रेस के 6 बार के विधायक रामनिवास रावत भी पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस आखिर क्यों अपने विधायकों को मना पा रही है। पार्टी का प्रदेश नेतृत्व आखिरी क्यों समय रहते डैमेज कंट्रोल कर पा रहा है। सीटिंग विधायकों के पार्टी छोड़ने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर सीधा असर पड़ रहा है। कांग्रेस छोडने वाले नेताओं का बड़ा जनाधार है ऐसे में वह सीधे-सीधे लोकसभा चुनाव को भी प्रभावित कर रहे है।
 

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