भोपाल। राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग पर दूसरे दिन भी काबू नहीं पाया जा सका है। सतपुड़ा भवन में सोमवार शाम 4 बजे लगी आग अब भी धधक रही है। वहीं चुनावी साल में सरकार के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण इमारत में आग लगने को लेकर अब सियासत भी गर्मा गई है। कांग्रेस ने सतपुड़ा भवन में लगी आग को साजिश बताकर भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार को घेरते हुए कहा कि "सतपुड़ा भवन में आग लगी या लगाई गई, यह सबसे बड़ा प्रश्न है। कमलनाथ ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का एक और उदाहऱण है, अभी तक बताया गया कि 12 हजार फाइल जली है लेकिन कितनी हजारों फाइल जली है। इसका क्या लक्ष्य था, क्य़ा उद्देश्य था। यह पूरा बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है और एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए"।
वहीं दूसरी सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे मामले को लेकर रिव्यू बैठक की है। बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा सतपुड़ा भवन में आग लगने के कारणों की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। वहीं गृहमंत्री ने कहा कि आग से सभी दस्तावेज जलकर नष्ट हो जाने की बात सही नहीं है। फाइलें हार्डडिस्क और पेनड्राइव में रहती है और सरकार हर संसाधन के माध्यम से डेटा को रिकवर करेगी। वहीं कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस सहायता में भी अवसर तलाशती हैं। कांग्रेस के आरोप निंदनीय है।
दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर कई सवाल भी उठ रहे है। दरअसल सतपुड़ा भवन में सरकार के कई महत्वपूर्ण विभाग है और सतपुड़ा भवन में बीते 10 साल में 3 बार बड़ी आग लग चुकी है। वल्लभ भवन (मंत्रालय) से निकले आदेश का क्रियान्वयन सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के जरिए ही पूरे प्रदेश में होता है। सतपुड़ा भवन में कई विभागों के ओएसजी बैठते हैं और यहां पर स्थापना सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्य होते हैं। वल्लभ भवन से निकले सभी योजनाओं के क्रियान्वयन आदेश से लेकर बजट और आर्थिक हिसाब किताब यहीं से चलता है। ऐसे में सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है, जिसका जवाब देना सरकार के लिए मुश्किल है। वहीं कांग्रेस अब इसको चुनावी मुद्दा बनाने में लग गई है।