भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ऑनलाइन गैंबलिंग को मध्यप्रदेश सरकार पब्लिक गैंबलिंग (जुआ) एक्ट (Public Gambling Act-1867) के दायरे में लाने जा रही है। सरकार की इस कवायद के बाद अब ऑनलाइन गेम अपराध की श्रेणी में आ जाएंगे। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगाने के लिए सरकार पब्लिक गैंबलिंग (जुआ) एक्ट का दायरा बढ़ाने जा रही है। गृहमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन गैंबलिंग पर अन्य राज्यों में लागू कानूनों के बारे में जानकारी मंगाई जा रही है और नया कानून 3 महीने में आ सकता है।
नए कानून में कड़े प्रावधान की तैयारी-ऑनलाइन गैंबलिंग पर रोक लगाने के लिए सरकार नया कानून बनाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक नए कानून बनाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव गृह विभाग को भेज दिया है। नए कानून में ऑनलाइन गैबलिंग पर रोक लगाने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जा रहा है।
प्रस्तावित नए कानून में उन सभी ऑनलाइन गेम जिसमें पैसा लगाया जाता है, को दायरे में लाया जाएगा। इसके साथ ऐसे गेम पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करने की तैयारी है। इसके साथ पब्लिक गैंबलिंग (जुआ) एक्ट में सार्वजनिक जुआ घर चलाने पर एक साल की सजा और 500 रुपए के जुर्माने को बढ़ाकर तीन साल की सजा और जुर्माना बढ़ाने का भी प्रावधान किया जा सकता है। वहीं सार्वजनिक स्थानों पर जुआ खेलने पर एक साल की सजा और पांच हजार रुपए तक जुर्माना किया जाना प्रस्तावित है। गौरतलब है कि पब्लिक गैंबलिंग अधिनियम में विभिन्न प्रकार के खेलों के लिए अलग कानूनों और सजा का प्रावधान है।
3 महीने की समय सीमा क्यों?-गौरतलब है कि ऑनलाइन गैंबलिंग को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने में कानून बनाने के निर्देश दिए है।जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि ऑनलाइन गैंबलिंग के चलते देश के युवा आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं, ऐसे में सरकार और इंतजार ना करते हुए तत्काल इस पर रोक लगाने की पहल करे। सिंगरौली जिले के सनत कुमार नामक की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने ये निर्देश दिया। दरअसल सनत कुमार ऑनलाइन सट्टे में साढ़े 8 लाख रुपए हार गया, जिसके बाद सनत के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
ऑनलाइन गेम पर कानून क्यों जरूरी?-मध्यप्रदेश में खतरनाक ऑनलाइन गेम के जाल में फंसकर कई बच्चे आत्महत्या कर चुके है। पिछले दिनों राजधानी भोपाल में पांचवी क्लास में पढ़ने वाले 11 साल के बच्चे ने फ्री फायर गेम की लत के चलते फांसी लगा ली। इसके साथ ही खतरनाक ऑनलाइन गेम्स बच्चों में कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या को बढ़ा रहे है। डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि जो बच्चे हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के गेम्स अधिक खेलते हैं, ऐसे कंटेट अधिक देखते हैं, उनका स्वभाव भी हिंसात्मक हो रहा है।
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स बच्चों के मस्तिष्क में रासायनिक और हार्मोनल असंतुलन का कारण बनते जा रहे हैं। ऑनलाइन गेम्स की लत के शिकार बच्चों के व्यवहार में अक्रामकता के साथ डिप्रेशन,एंग्जायटी और नॉवेल्टी सीकिंग प्रवृत्ति होना देखा गया है।