मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपनी चौथी पारी के दो साल का कार्यकाल पूरा कर रहे है। 23 मार्च 2020 को रिकॉर्ड चौथी बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की बागडोर अपने हाथों में संभाली थी। भाजपा के सबसे अधिक लंबे समय तक मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान चौथी पारी में पहले दिन से ही आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं।
15 साल से अधिक समय से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की छवि एक ऐसे राजनेता के तौर पर है, जिसने जमीन से लेकर सियासत के शिखर तक का सफर तय किया है। मध्यप्रदेश की राजनीति में पांव-पांव वाले भैय्या के नाम से पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल में बेहद अक्रामक नजर आ रहे है और अब उनकी छवि पांव-पांव वाले भैय्या की जगह बुलडोजर मामा की बनने लगी है।
क्यों बन रहीं बुलडोजर मामा की छवि?-चौथी पारी में फ्रंट फुट पर खेलने वाले शिवराज सिंह चौहान के दो साल का कार्यकाल पूरा करने पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के बुलडोजर मामा के जश्न में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजदूगी में भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने बुलडोजर मामा जिंदाबाद के नारे भी लगाए।
दरअसल सिंह चौहान के पांव-पांव वाले भैया से बुलडोजर मामा तक बनने का सफर भी अपने आप में दिलचस्प है। चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अंदाज पिछले तीन कार्यकालों से एकदम अलग नजर आया है। आम तौर पर बेहद सौम्य और शांत नजर आने वाले शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक मंचों से अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलाने का एलान कर रहे है।
मंगलवार को रायसेन के सिलवानी पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “मैं फिर कहना चाहता हूं गुंडे और बदमाश यह ना समझना कि कांग्रेस और कमलनाथ की सरकार है। यह मामा का राज है गड़बड़ करी तो छोडूंगा नहीं। यह ट्वीट करने वाले जितने चिल्ला रहे है चिल्लाते रहें, गरीब की मौत में भी राजनीति करते रहें। लेकिन मामा का बुलडोजर चला है अब रुकेगा नहीं जब तक बदमाशों को दफन नहीं कर देगा”। मध्यप्रदेश में जितने गुंडे और अपराधी हैं वह भी सुन ले,अगर गरीब कमजोर की तरफ हाथ उठा तो, मकान खोदकर मैदान बना दूंगा। चैन से नहीं रहने दूंगा"।
बात चाहे माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान की हो या सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अफसरों पर कार्रवाई का शिवराज बड़े फैसले लेने से चूक नहीं रहे है। मुख्यमंत्री हर फैसला ऑन द स्पॉट कर रहे है। मुख्यमंत्री अपने मंचों से माफियाओं को सीधी चेतावनी देने के साथ काम में लापरवाही करने पर अफसरों को भी खुलेआम फटकार भी लगा रहे है।
बुलडोजर मामा की छवि जरूरी मजबूरी?- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस अंदाज प्रदेश के गुंडा-माफियाओं के खिलाफ ऐलानी तौर पर बुलडोजर चलाने की चेतावनी दे रहे है दरअसल वह उनकी सियासी मजबूरी भी है। दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता वापसी का बड़ा कारण बाबा का बुलडोजर माना गया। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलाकर इसके सख्त प्रशासन की छवि बनाने के साथ जीत का प्रतीक बना दिया और मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार अब बुलडोजर के सहारे अपनी राजनीति आगे बढ़ना शुरु कर दिया। ऐसे में अब जब मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में लगभग डेढ़ साल का ही वक्त बचा है तब भाजपा संगठन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि बुलडोडर मामा के तौर पर गढ़ने में जुट गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुलडोजर मामा की छवि को राजनीति के जानकार काफी अहम मानते है। मध्यप्रदेश की सियासत पर करीबी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र पैगवार करते हैं कि भाजपा के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान राजनीति की नब्ज को पकड़ने में माहिर है। बुधनी से पांव-पांव भैय्या से अपना सियासी सफर शुरु करने वाले शिवराज सिंह चौहान की छवि आज अगर बुलडोजर मामा के तौर पर गढ़ी जा रही है तो यह 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का चुनावी शंखनाद होने के साथ एक रणनीति का हिस्सा भी है। दरअसल शिवराज सिंह चौहान एक ऐसे राजनेता है जो वक्त के साथ अपनी राजनीति की स्टाइल और उसके कलेवर को बाखूबी बदल देते है।
धर्मेंन्द्र पैगवार आगे कहते हैं कि हर कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान नए रूप में नजर आए है। चौथे कार्यकाल के पहले दो साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद अक्रामक नजर आ रहे है। फैसला ऑन स्पॉट कर वह अपनी उस सौम्य और उदारवादी छवि को भी तोड़ते नजर आ रहे है। अपराधियों पर बुलडोजर चलाने के साथ-साथ दो साल पूरे होने के जश्न में शिवराज भगवा गमछा धारण कर हिंदुत्व के छवि को भी और मजबूत कर रहे है।