पिता की मौत, हादसे में खोया पैर... लेकिन अपने जुनून से प्रदेश की इस बेटी ने तय की कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी की दूरी

नवीन रांगियाल
सोमवार, 11 जनवरी 2021 (12:20 IST)
अगर हौंसला और जुनून हो तो क्‍या नहीं किया जा सकता। जिसके बारे में कहा जाता है कि जो असंभव है, उसे भी मुमकि‍न किया जा सकता है। अगर इस तरह का कोई अंसभव कारनामा करने वाली कोई लड़की हो तो आश्‍चर्य और गर्व और ज्‍यादा होता है।

यह कहानी एक ऐसी ही बेटी की है जिसने एक हैरत अंगेज कारमाने से सब को चौंका दिया है। अदम्‍य साहस की यह कहानी है मध्‍यप्रदेश की बेटी तान्या डागा की।

दरअसल, प्रदेश के ब्यावरा में रहने वाली इस बच्ची ने 2 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया था। लेकिन बावजूद इसके उसने अपने हौंसले को पस्‍त नहीं होने दिया। उसने अपने एक बचे हुए पैर से साइकिल चलाई और कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक का सफर तय कर डाला। यानी अपने सिर्फ एक पैर से 42 दिनों में 2800 किमी की दूरी नाप डाली।

इस सफर के दौरान उसे कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। इसी दौरान तान्‍या के पिता का निधन हो गया और उसे अपना सफर बीच में ही रोककर एक सप्ताह के लिए वापस घर आना पड़ा। लेकिन उसने ठान रखा था कि जो तय कर रखा है उसे पूरा तो करना ही है।

उसने दोबारा अपनी साइकिल यात्रा शुरू की। दरअसल, तान्या 'इन्फिनिटी राइड के-2-के 2020' अभियान का हिस्सा थीं। इसका आयोजन आदित्य मेहता फ़ाउंडेशन और सीमा सुरक्षा बल ने संयुक्त रूप से किया था। कमाल की बात तो यह थी कि 30 सदस्यों की इस टीम में तान्या डागा अकेली पैरा साइकलिस्ट थीं।

यह पूरे देश में पैरा स्पोर्ट्स के बारे में जागरूकता फैलाने और धन इकट्ठा करने के लिए एक जन सहयोग अभियान था।

6 महीने रही बि‍स्‍तर में
हादसे में अपना पैर गंवाने के बाद तान्या करीब 6 महीने तक बिस्तर पर ही थी। इस दौरान वह अपनी ज़िंदगी से लगभग पूरी तरह से हार गई थी। लेकिन उसके पिता ने उसका मनोबल बनाए रखा और उसे अपने आपको साबित करने के लिए प्रोत्साहित किया और ढांढस बंधाया।

उसने अपने पिता की एक ही बात याद रख ली थी कि शरीर का एक हिस्सा खो देने से जीवन रुक नहीं सकता, हम अपना लक्ष्य हासिल करना नहीं छोड़ सकते। पिता की इस बात ने उसे नैतिक ताकत दी।

तान्या ने 19 नवंबर 2020 को अपना यह अभियान शुरू किया। लेकिन महीने भर बाद ही उसे एक नए इम्तिहान से गुजरना पड़ा। उसके पिता आलोक डागा की मौत हो गई। इससे एक बार फि‍र से वो टूट गई, उसे अभियान के बीच हैदराबाद से लौटना पड़ा।

लेकिन तान्या ने कहा- मेरे पिता मेरे आदर्श थे और उनका सपना था कि मैं यह मिशन पूरा करूं। मैं उस सपने को पूरा करना चाहती थी। उनकी मौत ने मुझे तोड़कर रख दिया, लेकिन उनके सपने को जीने के लिए मैं वापस अभियान में शामिल हुई। अपने भविष्य को लेकर तान्या कहती हैं कि वे अपने जैसे साइकल चालकों के लिए काम करती रहेंगी और लोगों को बताऊंगी कि कोई भी व्यक्ति जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है।

तान्या की इस कामयाबी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा– साहस और हौसला हो, तो बाधाएं, नतमस्तक हो जाती हैं। हमारी पैरा साइक्लिस्ट बेटी तान्या ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी तय कर मध्यप्रदेश का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। बेटी जीवन की हर चुनौती को परास्त कर ऐसी ही आगे बढ़ती रहो, मेरी शुभकामनाएं सदैव तुम्हारे साथ हैं।

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