इंदौर/ उज्जैन। देशभर में नववर्ष 2020 का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा है। बीती रात से लेकर नए साल की शाम तक खजराना गणेश मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। चूंकि नया साल बुधवार को शुरू हुआ है, लिहाजा यहां आम दिनों की अपेक्षा अपार संख्या में भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए युवक-युवतियों के अलावा बच्चे, महिलाएं, वृद्ध आते रहे। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। उज्जैन के महाकाल मंदिर में हजारों भक्त उमड़े।
सुबह से लेकर शाम तक खजराना चौराहे पर जाम की स्थिति बनी रही। यहां तक कि लोगों ने बड़ी संख्या में रिंगरोड किनारे अपने चौपहिया वाहन पार्क किए और पैदल ही भगवान गणेश के दर्शन करने गए। इतना ही नहीं सर्विस लेन पर भी वाहन गुत्थम-गुत्था होते रहे। इतनी बड़ी संख्या में आने के बावजूद लोगों में ट्रैफिक सेंस और अनुशासन बरकरार रहा।
रात 12 बजे हुई आरती में हजारों भक्त हुए शामिल : नववर्ष के आगमन के मौके पर इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में रात 12 बजे आयोजित होने वाली महाआरती के लिए रात 10 बजे से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। रात 11 बजे बड़ी संख्या में भक्त मंदिर के गर्भगृह के बाहर और परिसर में पहुंच चुके थे।
इस दौरान जिला प्रशासन पुलिस विभाग और मंदिर समिति द्वारा की गई सभी व्यवस्थाओं को दरकिनार करते हुए भक्तों को जहां जगह मिली वहीं से प्रवेश लिया। गर्भगृह के बाहर तक पहुंचने के लिए भक्तों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। 12 बजते ही मंदिर के पुजारी पंडित अशोक भट्ट, पंडित जयदेव भट्ट, पंडित नानू भट्ट आदि ने भगवान गणेश की आरती की और भक्तों को नशे से दूर रहने की शपथ दिलाई।
गणेश मंदिर परिसर गजानन के नारे से गूंज उठा : बीती रात 12 बजते ही खजराना गणेश मंदिर परिसर गजानन के नारे से गूंज उठा। वहीं महाकाल की नगरी भी बाबा की भक्ति में लीन हो गई। अलसुबह होने वाली भस्म आरती के लिए रात में ही भक्त मंदिर परिसर में जमा हो गए थे और जोरदार ठंड के बावजूद अपने आराध्य की भक्ति में लीन रहे। हजारों लोगों ने नववर्ष की शुरुआत भस्म आरती से की। खजराना, महाकाल मंदिर सहित सभी छोटे-बड़े मंदिरों में आराधना का दौर समाचार लिखे जाने तक जारी है।
महाकाल मंदिर में भी भक्तों की भीड़ : विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी नववर्ष धूमधाम से मनाया गया। नए साल की पहली सुबह में बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक हुआ यानी दूध, दही, घी, शकर व शहद से बाबा को स्नान करवाया गया। उसके बाद चंदन का लेपन कर सुगन्धित द्रव्य चढ़ाए गए और फिर भांग से श्रृंगार किया गया। इस बीच पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार किया गया।
इसेक बाद बाबा को श्वेत वस्त्र ओढ़ाकर भस्म रमाई गई। भस्मिभूत होने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्म आरती की गई। महाकाल की भस्म आरती में शामिल होने के लिए देशभर से भक्त उज्जैन पहुंचे और यहां किसी ने अपने परिवार की सुख-शांति की कामना की तो किसी ने देश में अमन-चैन व समृद्धि को लेकर अपना शीश नवाया। ऐसी मान्यता है कि बाबा महाकाल की भस्म आरती की एक झलक पाने से हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी हो जाती है।