टीकमगढ़। मध्यप्रदेश में पुलिस द्वारा किसानों को कपड़े उतारकर हवालात में बंद किए जाने संबंधी मामले में बवाल मच गया। किसानों का आरोप है कि जब एक किसान ने पुलिसकर्मियों से अपना पजामा मांगा तो उसे जवाब मिला की नंगे जाओ।
इस बीच कपड़े उतारकर हवालात में बंद करने संबंधी मामले में पुलिस ने अजीब तर्क रखा है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि फांसी लगाने के डर से किसानों के हवालात के बाहर कपड़े उतरवाए गए है।
उधर टीकमगढ़ से भाजपा विधायक केके श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्वयं कपड़े उतारें और कुछ अन्य लोगों से कपड़े उतरवाकर एक बार फिर किसानों को बदनाम करने की कोशिश की गई. विधानसभा चुनाव नजदीक आते देखकर कांग्रेस प्रदेश का वातावरण खराब करना चाहती है
मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत:संज्ञान लिया है। आयोग ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
आयोग ने कहा है कि मीडिया में टिकमगढ़ में किसानों के उत्पीड़न को लेकर जो रिपोर्ट आईं हैं अगर वे सही हैं तो यह किसानों के मानवाधिकारों का हनन है। लिहाजा, राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक चार सप्ताह में इस मामले की रिपोर्ट पेश करें।
आयोग ने कहा है कि रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य के गृहमंत्री ने तीन दिन में जांच कराने के निर्देश दिए हैं, मगर उन्होंने यह नहीं माना है कि पुलिस थाने में किसी की पिटाई हुई है।
टीकमगढ़ जिले को सूखा-ग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर मंगलवार को कलेक्टर ऑफिस के बाहर कांग्रेसियों के साथ मिलकर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन से लौट रहे किसानों से भरी दो ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को देहात पुलिस ने रोक लिया। किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें कपड़े उतारकर लॉकअप में बंद कर दिया। इस दौरान कपड़े उतरवाकर उनकी जमकर पिटाई की गई।