40 साल बाद भोपाल से पीथमपुर पहुंचा यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा, ऐसे किया जाएगा नष्ट

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 2 जनवरी 2025 (07:59 IST)
Union Carbide Waste material News : भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले कचरे के निपटान के लिए कंटेनर 8 घंटे के सफर के बाद आज सुबह पीथमपुर स्थित निपटान स्थल पहुंचे। यह 40 साल पहले हुई त्रासदी का बचा हुआ औद्योगिक कचरा था। आने वाले दिनों में SOP के तहत अवशेषों को नष्ट किया जाएगा।
 
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के अंदर मौजूद 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को भारी सुरक्षा के बीच 9 कंटेनरों में लादकर पीथमपुर भेज दिया गया। कचरे को सुरक्षित पीथमपुर पहुंचाने के लिए राजधानी भोपाल से पीथमपुर तक 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इस दौरान सुरक्षा की सभी मानकों का खास ख्याल रखा गया।
 
कचरा पैकिंग से लेकर कंटेनर में लोड करने में लगे कर्मचारियों के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखा गया। सुरक्षा की दृष्‍टि से इन कंटेनरों के साथ पुलिस, एंबुलेंस और दमकल की गाड़ियां तैनात रहीं।
 
कैसे नष्‍ट होगा जहरीला कचरा : यह जहरीला कचरा पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में नष्ट किया जाएगा। जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए यहां विशेष भट्टी बनाई गई है। इसी भट्‍टी में 1100 डिग्री पर कचरे को जलाया जाएगी। जानकारी के मुताबिक, यदि  90 किलोग्राम प्रति घंटे की मानक दर से इसको जलाया जाए तो भी इसे नष्ट करने में करीब 5 महीने का समय लगेगा। जलने के बाद इस कचरे की राख का वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा। इसे खास तौर पर बने लैंडफिल साइट पर डंप किया जाएगा।

जनप्रतिनिधियों के सामने प्रेजेंटेशन : नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार रात मुख्‍यमंत्री मोहन यादव से कचरा निस्तारण पर बात की। विजयवर्गीय ने मुख्‍यमंत्री को बताया कि जब तक जनप्रतिनिधि पूरी तरह संतुष्‍ट नहीं हो जाते कचरा निस्तारण नहीं किया जा सकता। वरिष्‍ठ आईएएस विवेक अग्रवाल आज इंदौर और धार के जनप्रतिनिधियों के समक्ष आज कचरा निस्तारण पर प्रेजेंटेशन देंगे। इनके संतुष्‍ट होने के बाद ही कचरा निस्तारण होगा। 

क्या थी भोपाल गैस त्रासदी : गौरतलब है कि 2 और 3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ। इस भयावह हादसे में कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो गए। इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। 
edited by : Nrapendra Gupta 

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