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इंदौर में कम मतदान से नेता परेशान, किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा?

हमें फॉलो करें इंदौर में कम मतदान से नेता परेशान, किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा?
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कमलेश सेन

, शनिवार, 16 जुलाई 2022 (14:40 IST)
प्रदेश में संपन्न स्थानीय निकायों के चुनावों ने राजनीतिक दलों में मतदाता की बेरुखी ने चिंता बढ़ा दी है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष, सभी ने चिंतन के साथ मतदाता पर्ची के न बंट पाने, कई मतदाताओं के नाम लिस्ट में न होने के आरोप लगाने आरंभ कर दिए हैं। सभी राजनीतिक दल मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने में पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले ज्यादा कम सफल रहे हैं।
 
पार्टी संगठन कम मतदान के कारणों एवं जमीनी कार्यकर्ता की रुचि में कमी या उनकी नाराजगी का पता लगाने के लिए प्रयास आरंभ करने के संकेत दे रहे हैं। जाहिर है आगामी विधानसभा चुनावों में इस तरह की पुनरावत्ति नहीं हो पाए, उसकी कवायद में लग गया है।
 
नगर निगम के पिछले 4 चुनावों के मतदान प्रतिशत को देखें तो 2004, 2009 एवं 2015 में 55.38, 59.41 और 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2022 के चुनावों में 60.80 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया। वैसे 2015 के मुकाबले 2022 में मतदान कम हुआ है।

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वहीं यदि हम पुरुष और महिला मतदान के आंकड़ों को देखें तो कुछ अलग ही जानकारी मिलती है। वर्ष 2015 में पुरुषों ने 65.3 प्रतिशत तो वर्ष 2022 में 52.86 एवं महिलाओं ने, 2015 में 59.35 और 2022 में 47.13 प्रतिशत ने वोट दिए। जाहिर है 2015 के मुकाबले 2022 के नगर निगम चुनाव में पुरुषों और महिलाओं ने क्रमश: 12.44 और 12.22 प्रतिशत मतदान कम किया।
 
इस वर्ष नगर निगम चुनाव में महिला मतदाताओं ने 2015 के चुनावों की अपेक्षा मतदान काफी कम किया। जाहिर है यह वोट कहीं चुनावों में अपनी निर्णायक भूमिका न अदा कर हार-जीत के फैसले को कम कर दे। यह तो 17 जुलाई, रविवार के परिणाम ही बता पाएंगे।
 
सभी राजनीतिक दलों को विचार करने योग्य बात है कि लोकसभा और विधानसभा में मतदान काफी अच्छा हुआ और निगम चुनाव में यह प्रतिशत काफी कम क्यों? जबकि निगम चुनाव में स्थानीय नेता और कार्यकर्ता होते हैं और वे मतदाता को घर-घर संपर्क कर मतदान के लिए मतदान केंद्र तक ले जाते हैं। आखिर इस बार कहीं सभी दलों का बूथ मैनेजमेंट फेल हो गया या स्थानीय कार्यकर्ता पार्टी से नाराज था?
 
यदि विधानसभा 2018 और लोकसभा 2019 में विधानसभा क्षेत्र अनुसार आंकड़े देखें तो भी निगम चुनाव में मतदान प्रतिशत काफी कम नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 एवं विधानसभा 2018 के मुकाबले नगर निगम चुनाव 2022 में औसत क्रमश: 6.08 एवं 7.8 प्रतिशत मतदाताओं ने कम मतदान किया।
 
कम मतदान के लिए वर्षा का मौसम, वोटर लिस्ट से नाम नहीं होना, नामों का इधर-उधर होना और क्षेत्र का बदल देना अदि लापरवाही के आरोप-प्रत्यारोप आरंभ हो गए हैं। कुछ नेताओं ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा यामिलकर अपनी चिंता जाहिर की।
 
निगम चुनाव इतिहास में पहली बार बारिश के मौसम में चुनाव हुए थे। मतदाता तो कभी भी किसी भी मौसम में वोट डालने जाता है। एक हिन्दी फिल्म का गीत 'मौसम आते-जाते रहेंगे, गीत मिलन के गाते रहेंगे, हर दम साथ निभाते रहेंगे'। वोटर यह गीत गाता रहेगा। वह कम हो या ज्यादा, यह चिंता का विषय नेताओं का है, न कि मतदाता का।

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