उड़ीसा के कालाहांडी के बाद एक बार और शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। घटना दमोह जिले की है। यहां पत्नी के शव को बस में लेकर आ रहे पति को बस ड्राइवर और कंडेक्टर ने बीच जंगल में उतार दिया।
एक पति अपनी पत्नी का इलाज कराने पांच दिन की बच्ची व बूढ़ी मां के साथ बस से दमोह आ रहा था, इसी बीच पत्नी की मौत हो गई। बस के चालक एवं परिचालक ने मानवता को शर्मसार करते हुए इन सभी को बीच जंगल में उतार दिया। रास्ते से कई लोग निकले लेकिन किसी ने भी इनकी सहायता नहीं की। दमोह के दो अधिवक्ता वहां से निकले तो वो इनके लिए भगवान बन गए।
खबरों के मुताबिक छतरपुर जिले के बकस्वाहा तहसील के ग्राम घोघरा निवासी रामसींग लोधी की पत्नी मल्लीबाई को करीब पांच दिन पहले प्रसव हुआ था। उसने एक बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के पांच दिन बाद महिला मल्लीबाई की
तबीयत बिगड़ी तो उसका पति नवजात बच्ची एवं अपनी बूढ़ी मां सुनियाबाई के साथ बस से दमोह के लिए निकला। बस में ही महिला की हालत बिगड़ गई और दमोह के पहले ग्राम चैनपुरा परासई के पास महिला की मौत हो गई। महिला की मौत हो जाने की जानकारी बस यात्रियों एवं बस के स्टॉप को लगी तो उन्हें बीच जंगल में उतार दिया।
बीच जंगल में सडक किनारे अपनी पांच दिन की नवजात बच्ची को लिए पिता लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। इसी बीच दमोह के दो अधिवक्ता मृत्युंजय हजारी और राजेश पटेल वहां से निकले तो उन्होने मानवता का परिचय देते हुए इनकी मदद की व उन्हें वाहन उपलब्ध कराते हुए उनके गांव भिजवाया।