वागर्थ

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संपादक
कुसुम खेमानी

कार्यालय
वागर्थ, भारतीय भाषा परिषद
36- ए, शेक्सपियर सरणी
कोलकाता
दूरभाष : 2287- 9962

संवाद
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक (प्रख्यात कवि अरुण अमल से अंतरंग बातचीत)

जन्मशती
नंददुलारे वाजपेयी : 'निराला' जी की आख्यायिकाएँ, उपन्यास

कहानी
ज्ञानरंजन : पिता (पिछले पन्नों से)
कमला दास : झूठ (मलयालम कहानी) रूपांतर : संतोष अलेक्स
सेमुएल बैकेट : निर्वासित (फ्राँसीसी कहानी) रूपांतर : विनोद दास
अनंत कुमार सिंह : बीज
कुमार अम्बुज : संसार के आश्चर्य
हरि मृदुल : पटरी पर गाड़ी

विचार : रमेश उपाध्याय : भाषाई साम्राज्यवाद की चुनौती और लघु पत्रिकाएँ
प्रसन्नकुमार चौधरी : भारतीयता का प्रश्न
शोभित वाजपेयी : नवउदार वैश्वीकरण और लोक-संस्कृति

कविता : रमेशचंद्र शाह : यात्रा/घर-बाहर/परखिये चारी/शाम : रेल में/कल्पवृक्ष/धन्यवाद/गल्प नहीं।

मानिक बच्छावत : जिया रंगारी, मियाँ खेलाय (चरित्र कविता)
हेमंत कुकरेती : तुम शराब में थे या खुमारी में/इमारतें/राजनीति का अर्थशास्त्र/यही हुआ करता था घोड़ा/कुसियाँ हैं और कुछ कागज/छिपकली/पीड़ा-पागलपन

जितेंद्र श्रीवास्तव : पानी/ जो इनके घर भी / यात्रा / घर की पहचान/ जरा पलटकर देखिए

नासिर अहमद सिंकदर : विशेषता और विशेषण/क्रिकेट और कोका कोला/घुटन

संजय शाम : सवाल है रक्त का/तब्दीली/ इच्छाएँ/ धरती के भीतर धरती/ बस्स ! एक पुल भर/ बाँसुरी बेचने वाला/ जात मत पूछिए

कुमार वीरेंद्र : मउआर/ नई खेती / ऊब-डूब/ किनारे खड़ी प्यास/ वाह पाहुन

डायरी : विजेंद्र : कविता को बीहड़ों, खंडहरों, गहन अंधकार और चमकते प्रकाश के जगपदों में ले जाना चाहिए।

आलेख : परमानंद श्रीवास्तव : कविता का विस्थापन अर्थात्‌ हिंदी कविता के बीस साल।
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी : दरख्तों के पार... शाम
प्रफुल्ल कोलख्यान : पुनर्निर्माण के लिए आशा से संवाद
नील कमल : फूलों के साथ होने का भरोसा

चैत की लाल टहनी : नीलाभ सागर : बीच का रास्ता/ उम्मीद/लोकतंत्र के नीचे/ चूल्हा/ बीच (कविता)

संस्मरण : नंदकिशोर नवल : प्रिय, शेष बहुत है रात
लोक : पुष्पा जैपुरिया : सुपना (राजस्थानी लोककथा)
मिथिलेश्वर : चतुर लड़की (भोजपुरी लोककथा)

भाषांतर : मलयालम कविता : सावित्री राजीवन : देहांतर (रूपांतर- संतोष अलेक्स)
रूसी कविता : इवान बूनिन : विचार के आने से/ मैं उसके निकट गया/पक्षियों के पास (रूपांतर- अनिल जनविजय)

सिनेमा : मृत्युंजय श्रीवास्तव : मस्ती की पाठशाला
जंगल का दर्द : ध्रुव शुक्ल / पत्तों के बिना

एक रचना : विनय बिहारी सिंह : पंकज बिष्ट की कहानी 'रूप कुंड और जंगल का रास्ता'

संगीत : मीना बनर्जी : तानपूरे की कथा
सरोकार महेंद्र राजा जैन : आत्मकथा से उठा बवाल (गुंटर ग्रास)

परख : निशांत : गमे-हयात ने मारा/कहानी संग्रह/राजी सेठ

रमेश मोहन झा : कोई नाम न दो/ कहानी संग्रह परितोष चक्रवर्ती
अनुराग वत्स : कविता का वैभव/ आलोचना/ विनोद दास

सांस्कृतिक गतिविधियाँ : संविधान की मोहताज नहीं हिन्दी : प्रो. नामवर सिंह
(' अपनी भाषा' की राष्ट्रीय संगोष्ठी)
चाली चैप्लिन की आत्मकथा हिंदी को एक बड़ी सौगात- वेद राही
( चाली चैप्लिन की आत्मकथा का लोकार्पण)

पुस्तक मिली
आवरण : पुष्पा बागड़ोदिया
रेखांकन और साजसज्जा : शुभरंजन मंडल, नंदकिशोर, संगती, वाजदा खान

मूल्य : 20 रुपए

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