Dharma Sangrah

कर्ण और कृष्ण के बीच के रिश्तों के 5 महत्वपूर्ण रहस्य

अनिरुद्ध जोशी
महाभारत कालीन रिश्ते और उनके द्वंद्व, जिसमें छल, ईर्ष्या, विश्वासघात और बदले की भावना का बाहुल्य है, लेकिन इसी में प्रेम-प्यार, अकेलापन और बलिदान भी है। आओ जानते हैं कि कर्ण और भगवान श्रीकृष्ण के संबंधों को लेकर पांच महत्वपूर्ण बातें।
 
 
1.भगवान श्रीकृष्ण का भाई था कर्ण-
कुंति पुत्र कर्ण एक महान योद्ध था जो कौरवों की ओर से लड़ा था। कुंती श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की बहन और भगवान कृष्ण की बुआ थीं। कुंति का पुत्र होने के कारण कर्ण भगवान श्री कृष्ण का भाई था।
 
 
2.कृष्ण के कारण ही गवांना पड़े कर्ण को कवच और कुंडल
कृष्ण के कारण ही कर्ण को अपने कवच और कुंडलों को इंद्र को दान देने पड़े थे। दरअसल, श्रीकृष्ण ने ही अपनी नीति के तहत इंद्र से कहा था कि तुम ब्राह्मण वेश में कर्ण के द्वार जाओ और उससे दान में कवच और कुंडल मांग लो, क्योंकि यदि महाभारत के युद्ध में कर्ण के पास उसके कवच और कुंडल रहे तो उसे हराना मुश्किल होगा।
 
 
3.कृष्ण ने ही कर्ण को बताया था कि तू कुंति का पुत्र है-
जब पांडवों का वनवास और अज्ञातवास समाप्त हो गया तब श्रीकृष्ण ने इस विनाशकारी युद्घ को टालने के लिए विराट नगरी से पाण्डवों के दूत के रूप में चलकर हस्तिनापुर की सभा में आकर पांडवों के लिए दुर्योधन से पांच गांव मांगे। लेकिन जब दुर्योधन ने कह दिया कि बिना युद्ध के तो सुई की नोंक के बराबर भी भूमि नहीं दी जाएगी तो श्रीकृष्ण युद्ध को अवश्यंभावी मानकर वापिस चल दिए थे। कहते हैं कि उस समय हस्तिनापुर से बाहर बहुत दूर तक छोड़ने के लिए श्रीकृष्ण के साथ कर्ण आया था। उस एकांत में श्रीकृष्ण ने कर्ण को बता दिया था कि वह कुंती का ज्येष्ठ पुत्र है। यह सुनकर कर्ण के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी। वह आवाक् रह गया था।
 
 
श्रीकृष्ण ने एक बार फिर कहा, हे कर्ण तुम कुंति के ज्येष्ठ पुत्र हो और तुम्हारे पिता सूर्यदेव हैं। इसलिए तुम्हें युद्ध में पांडवों का साथ देना चाहिए। कर्ण को इस सत्य का पता चला तो नीतिमर्मज्ञ कर्ण ने तब नीतिकार कृष्ण को जो कुछ कहा था, वह बड़ा ही मार्मिक है और उस दानवीर के प्रति श्रद्धा का भाव पैदा करने वाला है।
 
 
उसने कहा- हे मधुसूदन मेरे और आपके बीच में जो ये गुप्त मंत्रणा हुई है, इसे आप मेरे और अपने बीच तक ही रखें क्योंकि यदि जितेन्द्रिय धर्मात्मा राजा युधिष्ठर यदि यह जान लेंगे कि मैं कुंती का बड़ा पुत्र हूं तो वे राज्य ग्रहण नहीं करेंगे। कर्ण ने आगे कहा था कि उस अवस्था में मैं उस समृद्धशाली विशाल राज्य को पाकर भी दुर्योधन को ही सौंप दूंगा। मेरी भी यही कामना है कि इस भूमंडल के शासक युधिष्ठर ही बनें।
 
 
4.कर्ण का वध करवाया था कृष्ण ने इस तरह-
युद्ध के सत्रहवें दिन शल्य को कर्ण का सारथी बनाया गया। उस दिन कर्ण तथा अर्जुन के मध्य भयंकर युद्ध होता है। युद्ध के दौरान श्री कृष्ण अपने रथ को उस ओर ले जाते हैं जहां पास में ही दलदल होता है। कर्ण का सारथी यह देख नहीं पाता है और उसके रथ का एक पहिया दलदल में फंस जाता है।
 
 
रथ के फंसे हुए पहिये को कर्ण निकालने का प्रयास करते हैं। इसी मौके का लाभ उठाने के लिए श्रीकृष्ण अर्जुन से तीर चलाने को कहते हैं। बड़े ही बेमन से अर्जुन असहाय अवस्था में कर्ण का वध कर देता है। इसके बाद कौरव अपना उत्साह हार बैठते हैं। उनका मनोबल टूट जाता है। फिर शल्य प्रधान सेनापति बनाए जाते हैं, परंतु उनको भी युधिष्ठिर दिन के अंत में मार देते हैं।
 
 
5.कृष्ण ने ली कर्ण की परीक्षा- 
कहते हैं कि कर्ण जब अंतिम सांसे ले रहे थे तब भगवान कृष्ण ने उनकी एक अंतिम परीक्षा ली। वे उसके पास पहुंचे और कहा की तुम एक दानवीर हो क्या मुझे कुछ दान दोगे। कर्ण के पास उस वक्त कुछ नहीं था पर उसे ध्यान आया की उसका एक दांत सोने का है तो उसने मरणासन्न हालत में भी एक पत्थर से अपना दांत तोड़कर कृष्ण को दान स्वरूप भेंट कर दिया।
 
 
यह देख भगवान कृष्ण भाव-विहल हो गए और उन्होंने कर्ण से कोई भी तीन वरदान मांगने के लिए कहा। कर्ण ने कृष्ण से तीन वरदान मांगे। अपने पहले वरदान में कर्ण ने कहा कि कृष्ण जब अगला जन्म लें तो सूत लोगों के उद्धार का कार्य करें। दूसरा वरदान ये मांगा कि कृष्ण अगले जन्म में वहीं पैदा हों जहां कर्ण हो। इसके बाद तीसरा वरदान कर्ण ने ये मांगा कि उनका अंतिम संस्कार ऐसी जगह किया जाए जहां कोई पाप ना हुआ हो, इसी वजह से कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों के उपर किया था।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

Kaal Bhairav Jayanti 2025: अष्ट भैरव में से काल भैरव के इस मंत्र से मिलेगा उनका आशीर्वाद

Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक जयंती/ गुरु पर्व 2025: जानें तिथि, महत्व और इस दिन के मुख्य समारोह

Kartik Purnima Snan in Pushkar: कार्तिक पूर्णिमा पर राजस्थान के पुष्‍कर सरोवर में स्नान का क्या है महत्व?

Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर कौनसा दान रहेगा सबसे अधिक शुभ, जानें अपनी राशिनुसार

Dev Diwali 2025: देव दिवाली पर 5 जगहों पर करें दीपदान, देवता स्वयं करेंगे आपकी हर समस्या का समाधान

अगला लेख