शरशय्या पर कितने दिन लेटे रहने के बाद भीष्म पितामह ने प्राण त्यागे

अनिरुद्ध जोशी
शरशय्या पर लेटने के बाद भी भीष्म प्राण क्यों नहीं त्यागते हैं, जबकि उनका पूरा शरीर तीर से छलनी हो जाता है फिर भी वे इच्छामृत्यु के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होते हैं। भीष्म यह भलीभांति जानते थे कि सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागने पर आत्मा को सद्गति मिलती है और वे पुन: अपने लोक जाकर मुक्त हो जाएंगे इसीलिए वे सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हैं।
 
 
भीष्म ने बताया कि वे सूर्य के उत्तरायण होने पर ही शरीर छोड़ेंगे, क्योंकि उन्हें अपने पिता शांतनु से इच्छामृत्यु का वर प्राप्त है और वे तब तक शरीर नहीं छोड़ सकते जब तक कि वे चाहें। ऐसे भी कहा जाता है कि भीष्म को ठीक करने के लिए शल्य चिकित्सक लाए जाते हैं, लेकिन वे उनको लौटा देते हैं और कहते हैं कि अब तो मेरा अंतिम समय आ गया है। यह सब व्यर्थ है। शरशय्या ही मेरी चिता है। अब मैं तो बस सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार कर रहा हूं। पितामह की ये बातें सुनकर राजागण और उनके सभी बंधु-बांधव उनको प्रणाम और प्रदक्षिणा कर-करके अपनी-अपनी छावनियों में लौट जाते हैं।
 
 
भीष्म यद्यपि शरशय्या पर पड़े हुए थे फिर भी उन्होंने श्रीकृष्ण के कहने से युद्ध के बाद युधिष्ठिर का शोक दूर करने के लिए राजधर्म, मोक्षधर्म और आपद्धर्म आदि का मूल्यवान उपदेश बड़े विस्तार के साथ दिया। इस उपदेश को सुनने से युधिष्ठिर के मन से ग्लानि और पश्‍चाताप दूर हो जाता है।
 
 
बाद में सूर्य के उत्तरायण होने पर युधिष्ठिर आदि सगे-संबंधी, पुरोहित और अन्यान्य लोग भीष्म के पास पहुंचते हैं। उन सबसे पितामह ने कहा कि इस शरशय्या पर मुझे 58 दिन हो गए हैं। मेरे भाग्य से माघ महीने का शुक्ल पक्ष आ गया। अब मैं शरीर त्यागना चाहता हूं। इसके पश्चात उन्होंने सब लोगों से प्रेमपूर्वक विदा मांगकर शरीर त्याग दिया। सभी लोग भीष्म को याद कर रोने लगे। युधिष्ठिर तथा पांडवों ने पितामह के शरविद्ध शव को चंदन की चिता पर रखा तथा दाह-संस्कार किया। 
 
 
भीष्म सामान्य व्यक्ति नहीं थे। वे मनुष्य रूप में देवता वसु थे। उन्होंने ब्रह्मचर्य का कड़ा पालन करके योग विद्या द्वारा अपने शरीर को पुष्य कर लिया था। दूसरा उनको इच्छामृत्यु का वरदान भी प्राप्त था।
 
 
इस युद्ध के समय अर्जुन 55 वर्ष, कृष्ण 83 वर्ष और भीष्म 150 वर्ष के थे। हालांकि कुछ जगहों पर उनकी उम्र 128 वर्ष बताई गई है। उस काल में 200 वर्ष की उम्र होना सामान्य बात थी। बौद्धों के काल तक भी भारतीयों की सामान्य उम्र 150 वर्ष हुआ करती थी। इसमें शुद्ध वायु, वातावरण और योग-ध्यान का बड़ा योगदान था। भीष्म जब युवा थे तब कृष्ण और अर्जुन हुए भी नहीं थे।
 
 
माना जाता है कि भीष्म ही युद्ध में सबसे अधिक उम्र के थे। उन्हें राजनीति का ज्यादा अनुभव होने के कारण वेदव्यास ने संपूर्ण महाभारत में भीष्म को राजनीति का केंद्र बनाकर राजनीति के बारे में उन्होंने जो भी कहा, उसका प्राथमिकता से उल्लेख किया।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

April Birthday : अप्रैल माह में जन्मे हैं तो जान लीजिए अपनी खूबियां

sheetala saptami 2024 : शीतला सप्तमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sheetala ashtami vrat katha: शीतला सप्तमी-अष्टमी की कथा कहानी

Basoda puja 2024 : शीतला अष्टमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Gudi padwa 2024 date : हिंदू नववर्ष पर 4 राशियों को मिलेगा मंगल और शनि का खास तोहफा

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 03 अप्रैल का दैनिक राशिफल

03 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

03 अप्रैल 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Vastu Tips : टी-प्वाइंट पर बने मकान से होंगे 5 नुकसान

बुध का मेष राशि में वक्री गोचर, 3 राशियों के लिए गोल्डन टाइम, 3 राशियों को रहना होगा संभलकर

अगला लेख