Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या गांधारी के श्राप के कारण अफगानिस्तान का हुआ है ये हाल?

हमें फॉलो करें gandhari kon thi

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 10 जुलाई 2023 (15:23 IST)
Mahabharata : अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जिसे 'साम्राज्यों की कब्र' कहा जाता है। यहां पर युद्ध, युद्ध और सिर्फ युद्ध ही होते रहे हैं। कहते हैं कि पहले यह क्षेत्र भारतवर्ष के आर्यावर्त के क्षेत्र में एक जनपद गांधार प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था। महाभारत काल में यहां पर राजा सुबह का राज था जो गांधारी के पिता थे।
 
कहते हैं कि राजा सुबह की पुत्री गांधारी ने धृतराष्‍ट्र से मजबूरीवश विवाह किया था। इसका कारण भीष्म थे। धंधे महाराज धृतराष्ट्र के लिए भीष्म ने गांधार नरेश की राजकुमारी का बलपूर्वक विवाह धृतराष्ट्र से कराया था। गांधारी के पुत्रों को कौरव पुत्र कहा गया लेकिन उनमें से एक भी कौरववंशी नहीं था। धृतराष्ट्र और गांधारी के 99 पुत्र और एक पुत्री थीं जिन्हें कौरव कहा जाता था। गांधारी ने वेदव्यास से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर किया था। इस वरदान के चलते ही गांधारी को 99 पुत्र और एक पुत्री मिली थीं। उक्त सभी संतानों की उत्पत्ति 2 वर्ष बाद कुंडों से हुई थी। गांधारी की बेटी का नाम दु:शला था। गांधारी जब गर्भवती थी, तब धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ सहवास किया था जिसके चलते युयुत्सु नामक पुत्र का जन्म हुआ। इस तरह कौरव सौ हो गए।
webdunia
गांधारी का शकुनि नामक एक भाई था। पिता की मृत्‍यु के बाद गांधार का सारा राजपाट शकुनि के हाथ में आ गया। ऐसा कहते हैं कि भीष्‍म ने राजा सुबल के पूरे परिवार हो नष्‍ट कर दिया था तो उसका बदला लेने के लिए शकुनि ने कौरव और पांडवों को आपस में लड़वाकर पूरे हस्तिनापुर का नाश करने की साजिश रची थी।
 
महाभारत के युद्ध में अपने 100 पुत्रों को खोने के बाद गांधारी ने क्रोध की अग्नि में जलते हुए श्रीकृष्ण और शकुनि को यह श्राप दे दिया था। श्रीकृष्ण को कहा था कि जिस तरह तुम्हारे कारण मेरे कुल का नाश हुआ है उसी तरह तुम्हारे कुल का भी नाश हो जाएगा। मौसुल युद्ध के कारण जब श्रीकृष्ण के कुल के अधिकांश लोग मारे गए तो श्रीकृष्ण ने प्रभाष क्षेत्र में एक वृक्ष के नीचे विश्राम किया। वहीं पर उनको एक भील ने भूलवश तीर मार दिया जो कि उनके पैरों में जाकर लगा। इसी को बहाना बनाकर श्रीकृष्ण ने देह को त्याग दिया। उसके बाद द्वारिका नगरी समुद्र में डूब जाती है।
 
इसी प्रकार गांधारी ने अपने 100 पुत्रों की मृत्यु का जिम्मेदार शकुनि को भी माना। गांधारी ने गांधार नरेश शकुनि को श्राप दिया कि ‘मेरे 100 पुत्रों को मरवाने वाले गांधार नरेश तुम्‍हारे राज्‍य में कभी शांति नहीं रहेगी। वह हमेशा आपसी में ही उलझा रहेगा।
 
लोगों को मानना है कि गांधारी के इसी श्राप के चलते आज भी अफगानिस्तान में शांति नहीं रहती है। तालिबान से पहले और तालिबान के बाद और फिर से तालिबान के कब्जे के दौरान अभी तक निरंत इस देश में अशांति का साम्राज्य कायम है। यह देश कभी भी किसी भी काल में पूरी तरह शांत नहीं रह पाया है। 

एक किवदंति भी प्रचलित है कि सिकंदर अफगानिस्तान को जीतने के लिए संघर्ष कर रहा था तो उसकी मां ने एक चिट्ठी भेजी जिसमें लिखा हुआ था कि कि दुनिया को जीतने वाला सिकंदर इस छोटे से अफागानिस्तान को क्यों नहीं जीत पा रहा है? इस पर सिकंदर ने चिट्ठी का जवाब देते समय उसके साथ अफगानिस्तान की मिट्टी भी भेज दी। कहते हैं कि वो मिट्टी जब सिकंदर के गांव मकदूनिया में पहुंची, तो वहां भी पर झगड़े शुरू हो गए। यानी अफगानिस्तान के लोग हमेशा लड़ते रहेंगे, पहले विदेशियों से और जब वो नहीं मिलेंगे तो आपस में ही लड़ते मरते रहेंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रावण की मृत्यु का कारण बने ये 6 शाप