Vidur Niti : भारत में कई महान नीतिज्ञ हुए। जैसे भीष्म, विदुर, मनु, चर्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट्ट आदि अनेकों नीतिज्ञ हुए हैं। इन्हें में एक थे महात्मा विदुर। विदुर धृतराष्ट्र के सौतेले भाई थे जो एक दासी के पुत्र थे। आओ जानते हैं कि विदुरजी ने कौनसी 5 ऐसी आदतों का जिक्र किया है जिसके चलते जीवन अंधकार में हो जाता है।
1. क्रोध : महात्मा विदुर कहते हैं कि क्रोध यानी गुस्सा इंसान का शत्रु होता है। काम, क्रोध और लोभ यह तीन प्रकार के नरक यानी दुखों की ओर जाने के मार्ग है। यह तीनों आत्मा का नाश करने वाले हैं, इसलिए इनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।
2. ईर्ष्या : ईर्ष्या, दूसरों से घृणा करने वाला, असंतुष्ट, क्रोध करने वाला, शंकालु और पराश्रित (दूसरों पर आश्रित रहने वाले) इन छह प्रकार के व्यक्ति सदा दुखी रहते हैं। यह जीवन को अंधकारमय बना देते हैं। इसीलिए ईर्ष्या करने के बजाया स्वस्थ सकारात्मक प्रेरणा लेकर प्रतियोगिता करें। असंतुष्ट रहने के बजाय संतोष किससे प्राप्त होगा उसके लिए प्रयास करें। क्रोधित रहने और शंकालु बने रहने से हमारे सभी तरह के संबंध टूट जाते हैं। अत: प्रेम और विश्वास करना सीखें। किस के प्रति आसक्ति नहीं रखें। प्रत्येक व्यक्ति को उसके तरीके से स्वतंत्र रहने दें।
3. विश्वास करना : जो विश्वास का पात्र नहीं है, उसका तो कभी विश्वास किया ही नहीं जाना चाहिए। पर जो विश्वास के योग्य है, उस पर भी अधिक विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। विश्वास से जो भय उत्पन्न होता है, वह मूल उद्देश्य का भी नाश कर डालता है। हालांकि महात्मा विदुर यह भी कहते हैं कि जो पुरुष अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं रखता, गुरुजनों में भी स्वभाव से ही शंकित रहता है। किसी का विश्वास नहीं करता, मित्रों का परित्याग करता है...वह पुरुष निश्चय ही अधर्मी होता है।
4. खुद की प्रशंसा करना : यह सही है कि हर कोई खुद की प्रशंसा करता है या करना चाहता है, परंतु यदि वह हमेशा ही ऐसा करते हुए दूसरों की निंदा भी करता है तो वह खुशहाल जीवन नहीं जी सकता। वह धीरे धीरे अंधकार में चला जाएगा
5. मूर्खता : मूढ़ चित वाला नीच व्यक्ति बिना बुलाए ही अंदर चला आता है, बिना पूछे ही बोलने लगता है तथा जो विश्वास करने योग्य नहीं हैं उन पर भी विश्वास कर लेता है।... महात्मा विदुर कहते हैं कि व्यक्ति की यह आदत उसका जीवन बर्बाद कर देती हैं।