आजकल पति पत्नी के बीच झगड़े होना आम बात है परंतु ये झगड़े अब तलाक की नौबत भी पैदा कर रहे हैं। वाद विवाद इस कदर बढ़ जाता है कि सारी मर्यादाएं ताक पर रखकर अपराध भी होने लगता है। हालांकि अधिकतर झगड़ों की कोई खास वजह नहीं होती है बस अहंकार को संतुष्ट करने के लिए यह होते रहते हैं। यदि आप इस तरह के गृह कलह को दूर करना चाहते हैं तो जानिए ज्योतिष के उपाय।
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घर में धार्मिक आयोजन करते या कराते रहें।
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शुक्रवार के दिन किसी कन्या को सफेद रंग की मिठाई खिलाने से दांपत्य जीवन में सुधार होकर रिश्ते मजबूत होते हैं।
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पत्नी को रात में सोते समय पति के सिरहाने सिंदूर रख देना चाहिए। दूसरे दिन पति उस सिंदूर को बाहर कहीं ले जाकर गिरा दें।
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पति को सोने से पहले रोज केसर वाला दूध पिकर पत्नी के हाथों में सोने की चूड़ियां पहननी चाहिए। सोना नहीं हो तो चांदी पर लाल रंग की कास्तकारी करी हुई चूड़ियां पहननी चाहिए।
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शयन कक्ष में हंसों के जोड़े का सुंदर-सा चित्र लगाएं या उचित स्थान पर श्रीराधा कृष्ण के चित्र लगाएं।
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भगवान शिव और माता पार्वती की फोटो घर में उचित स्तान पर लगाएं या तोते के जोड़ों की तस्वीर लगाएं
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पत्नी को बुधवार के दिन दोपहर 12 से 3 बजे तक मौन धारण करके रहना चाहिए।
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घर में रोज कपूर मिला घी का दीपक जलाना चाहिए। दीये की लौ दक्षिण दिशा में रखकर जलाएं। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो। दिशा का ध्यान अगर न रख पाएं तो दीपक के मध्य में बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
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मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए।
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शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए। पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में करके नहीं सोना चाहिए।
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शयनकक्ष में टूटा पलंग नहीं होना चाहिए। पलंग का आकार यथासंभव चौकोर रखना चाहिए। पलंग की स्थापना छत के बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए। शयन कक्ष के दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं। लकड़ी से बना पलंग श्रेष्ठ रहता है।
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डबलबेड के गद्दे दो हिस्सों में न हो। यानी गद्दा एक ही होना चाहिए, वह बीच में विभाजित नहीं होना चाहिए।
सूर्योदय से उठकर स्नान कर लें। इसके बाद किसी भी शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए पूरी श्रद्धा के साथ नीच दिए गए मंत्र का जाप करें।
मंत्र है -
ओम् नम: संभवाय च मयो भवाय च नम:
शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च।।
या सुबह उठकर स्नान के बाद किसी एकांत जगह आसन बिछा लें, अब उस आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं, सामने मां पार्वती की तस्वीर या प्रतिमा रखें, श्रद्धा के साथ 21 बार नीचे लिखे मंत्र का जाप करें -
अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ समंजनम्।
अंत: कृणुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति।।