Biodata Maker

संक्रमण से बचने के लिए क्या लिखा है महाभारत और अन्य धर्म शास्त्रों में

Webdunia
गुरुवार, 27 अगस्त 2020 (14:11 IST)
भारतीय संस्कृति, वेद, पुराण, प्रचलित परंपरा और आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय और नुस्खे बताए गए हैं जिससे हम साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए किसी भी रोगाणु, जीवाणु, विषाणु या संक्रमण से बच सकते हैं।
 
#महाभारत
1. न चैव आर्द्राणि वासांसि नित्यं सेवेत मानव:।-(महाभारत अनु.104/52) 
अर्थात- गीले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
 
2.अपना हित चाहने वाला मनुष्‍य घर से दूर जाकर पेशाब करे, दूर ही पैर धोवे और दूर पर ही जूठे फेंके।
 
3. किसी के साथ एक पात्र में भोजन न करे। 
 
4. तथा न अन्यधृतं धार्यम्।- (महाभारत अनुशासन पर्व 104/86)
अर्थात : दूसरों के पहने हुए कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
 
5. अन्यदेव भवेद् वास: शयनीये नरोत्तम।
अन्यद् रथ्यासु देवनानाम् अर्चायाम् अन्यदेव हि।।- (महाभारत104/ 86)
अर्थात- सोने की समय, घर से बाहर घूमने के समय तथा पूजन के समय अलग-अलग वस्त्र होने चाहिये।
 
#मनुस्मृति
 
अनातुर: स्वानि खानि न स्पृशेदनिमित्तत:।-( मनुस्मृति 4/ 144)
अर्थात- बिना वजह के अपने नाक, कान, आंख को न छुएं। 
 
घ्राणास्ये वाससाच्छाद्य मलमूत्रं त्यजेत् बुध:। (वाधूलस्मृति 9)
नियम्य प्रयतो वाचं संवीताङ्गोऽवगुण्ठित:। (मनुस्मृति 4/49)
अर्थात- किसी भी व्यक्ति को हमेशा नाक, मुंह तथा सिर को ढ़ककर और मौन रहकर मल-मूत्र का त्याग करना चाहिए।
 
 
न छिन्द्यान्नखलोमानि दन्तैर्नोत्पाटयेन्नखान् ।- (मनुस्मृति 4/69)
अर्थात्- दांतों से नाखून, रोम अथवा बाल चबाने या काटने नहीं चाहिए।
 
अनातुरः स्वानि खानि न स्पृशेदनिमित्ततः।- (मनुस्मृति 4/144)
अर्थात- बिना कारण अपनी इन्द्रियों (नाक, कान इत्यादि) को न छूएं।
 
न वार्यञ्जलिना पिबेत्।- (मनुस्मृति 4/63)
अर्थात- अञ्जलि से जल नहीं पीना चाहिए।
 
उपानहौ च वासश्च धृतमन्यैर्न धारयेत्। (मनुस्मृति 4/66)
अर्थात- दूसरों के पहने हुए वस्त्र और जूते नहीं पहनने चहिए।
 
#पुराण
न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्।-(विष्णुस्मृति 64)
अर्थात- पहने हुए वस्त्र को बिना धोए दोबार न पहनें। 
 
चिताधूमसेवने सर्वे वर्णा: स्नानम् आचरेयु:। वमने श्मश्रुकर्मणि कृते च।-(विष्णुस्मृति 22)
अर्थात- श्मशान में जाने पर और हजामत बनवाने के बाद स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
 
हस्तपादे मुखे चैव पञ्चार्द्रो भोजनं चरेत्।- (पद्मपुराण सृष्टि 51/88)
अर्थात- हमेशा हाथ, पैर और मुंह धोकर ही भोजन करना चाहिए। पहना हुआ वस्त्र धोकर ही पुनः पहनें।
 
न धारयेत् परस्यैवं स्नानवस्त्रं कदाचन।- (पद्मपुराण, सृष्टि.51/86)
अर्थात- दूसरों के स्नान के वस्त्र तौलिया इत्यादि प्रयोग में नहीं लेने चाहिये।
 
हस्तपादे मुखे चैव पञ्चार्द्रो भोजनं चरेत् ।- (पद्मपुराण, सृष्टि 51/88)
अकृत्वा पादयोः शौचं मार्गतो न शुचिर्भवेत्। (पद्मपुराण, स्वर्ग.53/10)
अर्थात- कहीं बाहर से आया हुआ व्यक्ति पैरों को धोये बिना शुद्ध नहीं होता।
 
नाकारणाद् वा निष्ठीवेत्।- (कूर्मपुराण, उ.16/68)
अर्थात- बिना कारण थूकना नहीं चाहिए ।
नाभ्यङ्गितं कायमुपस्पृशेच्च।- (वामन पुराण 14/54)
अर्थात- तेल-मालिश किये हुए व्यक्ति के शरीर का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
 
अपमृज्यान्न च स्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभि:।-(मार्कण्डेय पुराण 34/52)
अर्थात- स्नान करने के बाद अपने हाथों से या स्नान के समय पहने भीगे कपड़ों से शरीर को नहीं पोंछना चाहिए।
 
#सुश्रुतसंहिता
नाप्रक्षालितपाणिपादो भुञ्जीत। (सुश्रुतसंहिता, चिकित्सा 24/98)
अर्थात्- हाथ, पैर और मुख धोकर भोजन करना चाहिए ।
 
नासंवृत्तमुखः सदसि जृम्भोद्गारकासश्वासक्षवथूनुत्सृजेत्।- (सुश्रुतसंहिता, चिकित्सा 24/94)
अर्थात- मुख को बिना ढके सभा में उबासी, खांसी, छींक, डकार इत्यादि न लेवें।
 
नाञ्जलिपुटेनापः पिबेत्।- (सुश्रुतसंहिता, चिकित्सा 24/98)
अर्थात- अञ्जलि से जल नहीं पीना चाहिए।
 
#अन्य ग्रंथ
लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च। लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्। (धर्मसिंधु 3 पू.आह्निक) 
अर्थात- नमक, घी, तैल, कोई भी व्यंजन, चाटने योग्य एवं पेय पदार्थ यदि हाथ से परोसे गए हों तो न खायें, चम्मच आदि से परोसने पर ही ग्राह्य हैं। 
 
न आर्द्रं परिदधीत।-(गोभिलगृह्य सूत्र 3/5/24)
अर्थात- गीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
 
स्नानाचारविहीनस्य सर्वाः स्युः निष्फलाः क्रियाः।- (वाधूलस्मृति 69)
अर्थात्- स्नान और शुद्ध आचार के बिना सभी कार्य निष्फल हो जाते है अतः सभी कार्य स्नान करके शुद्ध आचार से करने चाहिए।

सम्बंधित जानकारी

Budh gochar 2025: बुध का वृश्चिक राशि में गोचर, 3 राशियों को संभलकर रहना होगा

Mangal gochar 2025: मंगल का वृश्चिक राशि में प्रवेश, 3 राशियों के लिए है अशुभ संकेत

Kushmanda Jayanti: कूष्मांडा जयंती के दिन करें माता की खास पूजा, मिलेगा सुख संपत्ति का आशीर्वाद

Kartik Month 2025: कार्तिक मास में कीजिए तुलसी के महाउपाय, मिलेंगे चमत्कारी परिणाम बदल जाएगी किस्मत

October Horoscope 2025: अक्टूबर के अंतिम सप्ताह का राशिफल: जानें किन राशियों पर होगी धन की वर्षा, आएगा करियर में बड़ा उछाल!

31 October Birthday: आपको 31 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 31 अक्टूबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

Shukra gochar 2025: शुक्र के तुला में गोचर से 7 राशियों के लिए होगी धन की वर्षा, मिलेगा शुभ परिणाम

Tulsi Vivah ke achuk upay: तुलसी विवाह के अचूक उपाय: सुख, समृद्धि और विवाह बाधा मुक्ति के लिए

देव उठनी एकादशी व्रत के पारण का समय क्या है, कैसे खोलें उपवास

अगला लेख