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...तो महाराष्ट्र में लग जाएगा राष्ट्रपति शासन, भाजपा के मंत्री ने कहा

हमें फॉलो करें ...तो महाराष्ट्र में लग जाएगा राष्ट्रपति शासन, भाजपा के मंत्री ने कहा
, शुक्रवार, 1 नवंबर 2019 (19:15 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र के वित्तमंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने शुक्रवार को कहा कि अगर राज्य में 7 नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना की ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग है।
 
उनकी यह टिप्पणी तब आई है, जब 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 8 दिन बाद भी राज्य में सरकार गठन को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त होगा।
1 या 2 दिन में बातचीत शुरू होगी : मुनगंटीवार ने एक टीवी चैनल से कहा कि दीपावली उत्सव के कारण भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत में देर हुई। 1 या 2 दिन में बातचीत शुरू होगी। महाराष्ट्र के लोगों ने केवल एक पार्टी को नहीं बल्कि महायुति (भाजपा, शिवसेना और अन्य दलों के गठबंधन) को जनादेश दिया है। हमारा गठबंधन फेविकोल या अंबुजा सीमेंट से भी मजबूत है।
 
मुनगंटीवार ने भरोसा जताया कि नई सरकार का गठन जल्द ही होगा और निर्धारित समय के भीतर एक नई सरकार बनानी होगी या राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। अगर समयसीमा के भीतर सरकार नहीं बनती है तो राष्ट्रपति शासन लागू होगा।
सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना : उन्होंने कहा कि सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना की ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग है। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा इस मांग को मानेगी? इस पर मुनगंटीवार ने कहा कि हमने पहले ही देवेंद्र फड़णवीस को नामित कर दिया है।
 
केंद्रीय नेतृत्व करेगा हस्तक्षेप : गतिरोध की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर गतिरोध को तोड़ने के रास्ते तलाशने के लिए साथ बैठेंगे। अगर आवश्यक हुआ तो भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन पर गतिरोध दूर करने के लिए भाजपा बढ़त हासिल करेगी।
 
राउत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया : सरकार गठन पर शिवसेना नेता संजय राउत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुनगंटीवार ने कहा कि भाजपा की तरह शिवसेना भी जल्द से जल्द सरकार गठन करना चाहती है। हमने गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ा था। यहां शिवसेना या भाजपा का मुद्दा नहीं है बल्कि महाराष्ट्र के लोगों का मुद्दा है।
...तो राकांपा विकल्प देने का प्रयत्न करेगी : राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार को कहा कि यदि भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने में विफल रहती हैं तो उनकी पार्टी विकल्प देने का प्रयास करेगी। इससे पहले राकांपा के वरिष्ठ नेता अजीत पवार कह चुके हैं कि पार्टी कांग्रेस के साथ विपक्ष में बैठेगी।
 
मलिक ने भाजपा नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार पर उनके इस बयान को लेकर प्रहार किया कि यदि महाराष्ट्र में 7 नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। उन्होंने कहा कि यह कुछ धमकी जैसा लगता है। लोगों ने भाजपा और शिवसेना से सरकार बनाने को कहा है। यदि वे सदन के पटल पर ऐसा करने में विफल रहती हैं तो हम विकल्प देने का प्रयास करेंगे। वैसे राकांपा नेता ने इसका कोई ब्योरा नहीं दिया।
 
शिवसेना की हठधर्मी : भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में 21 अक्टूबर का विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन अब मुख्यमंत्री के पद को दोनों के बीच ठन गई है। शिवसेना चाहती है कि मुख्यमंत्री का पद ढाई साल उसके पास और ढाई साल भाजपा के पास रहे लेकिन भाजपा इस पर राजी नहीं है।
 
भाजपा ने चुनाव में 105 सीटें जीती हैं जबकि शिवसेना महज 56 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। दूसरी तरफ राकांपा और कांग्रेस ने क्रमश: 54 और 44 सीटें जीती हैं। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 288 है और बहुमत के लिए 145 जरूरी है।

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