अंतर्मन में उतर जाते हैं बापू : इला गाँधी

महात्मा गाँधी पुण्यतिथि पर विशेष

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बापू को आज के दौर में प्रासंगिक करार देते हुए महात्मा गाँधी की पौत्री इला गाँधी ने कहा है कि हमारे आसपास की दुनिया में जबर्दस्त बदलाव के बाद भी सभी स्थानों पर विश्व शांति एवं समान विकास के लिए बापू के विचारों को प्रखरता से रखा जा रहा है।

इला गाँधी ने कहा,' भारत से हजारों मील दूर दक्षिण अफ्रीका में रहने के बावजूद मैं हमेशा से ही इस देश का हिस्सा रही हूँ। अपनी जड़ों की ओर जब भी आती हूँ तो काफी अच्छा लगता है।' उन्होंने कहा,' मैंने गाँधी जी की विचारधारा को हमेशा आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। इस दौरान मुझे यह देखकर काफी आश्चर्य हुआ कि हमारे आसपास की दुनिया में जबर्दस्त बदलाव के बावजूद सभी लोग गाँधी की चर्चा करते हैं। क्योंकि बापू में अन्तर्मन को स्पर्श करने की क्षमता थीं।

उन्होंने कहा, ' दुनिया में कहीं भी, कभी भी, चाहे मौका सुखद हो या दुखद। विश्व शांति और विकास के लिए बापू के विचार केंद्र में रहते हैं। दुनिया में अमन चैन, सहयोग और विकास के लिए बापू के संदेश पहले से अधिक प्रासंगिक हो गए हैं क्योंकि उनके विचार आम लोगों के अंतर्मन को छूने वाले हैं।

इला गाँधी ने कहा,' आज जब हम 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उस समय महिलाओं के उत्थान पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है क्योंकि दुनिया की यह आधी आबादी आज भी उपेक्षित है। दक्षिण अफ्रीका में 1994 के बाद से स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और महिलाओं को अधिकार मिले हैं।

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भारत में भी महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। लेकिन इस सब के बावजूद महिलाएँ सबसे अधिक उपेक्षा की शिकार हैं और भय के साये में है। दक्षिण अफ्रीका में अपने आंदोलन से ही बापू ने महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था लेकिन लड़के और लड़कियों में आज भी फर्क किया जा रहा है।

जब तक महिलाएँ एकजुट नहीं होंगी तब तक मानवता के इस बड़े हिस्से के पक्ष में महात्मा गाँधी के संघर्ष को अंजाम तक नहीं पहुँचाया जा सकता है। शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसके लिए पूरी दुनिया में जोरदार अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि विश्व का एक बड़ा हिस्सा आज भी शिक्षा के अधिकार से वंचित है।

इला गाँधी ने कहा, ' बापू ने राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षित आबादी को सबसे महत्वपूर्ण कारक बताया था, लेकिन यह कार्य आज भी अधूरा है विशेष तौर पर महिलाओं में अशिक्षा का स्तर अधिक है जबकि हमारा भविष्य उसी महिला के आँचल की छाँव में पलता है। (भाष ा)

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