क्या गाँधीवाद विवाद का विषय है?

आलोच्य नहीं है गाँधी दर्शन

Webdunia
ND
(02 /10/1869 - 30/01/1948)
ओशो द्वारा गाँधी पर दिए प्रवचन को पढ़कर कुछ लोगों की धारणा यह है कि गाँधीवाद को नहीं अपनाया जा सकता क्योंकि यह पीछे ले जाने वाला दर्शन है जबकि हमें महात्मा गाँधी से प्रेम है। उनके योगदान को हम सलाम करते हैं। जहाँ तक अहिंसा के दर्शन की बात है तो यह जैन और बौद्ध दर्शन का ही दोहराव है। हालाँकि यह बात तो गाँधी जी ने भी कही थी कि मेरे पास सिखाने के लिए कुछ भी नया नहीं है।

हाँ, गाँधी में कुछ नया था तो वह था आजादी या अपने ‍अधिकारों को प्राप्त करने के लिए धर्म की बातों का लाभ उठाना। उन्होंने सत्य और अहिंसा की उपयोगिता को समझते हुए उसे आजादी हासिल करने का हथियार बना डाला। उनके सत्याग्रह, सविनय, असहयोग और अहिंसात्मक आंदोलन का असर इतना व्यापक था कि अंग्रेजों को सोचने पर मजबूर होना पड़ा। गाँधी से पूर्व तो यही माना जाता रहा कि क्रांतियाँ तो सिर्फ हथियारों से ही संभव है।

महात्मा गाँधी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने कठिन धार्मिक नियमों का पालन करते हुए राजनीतिक जीवन को एक नई दिशा दी। राजनीति में रहकर भी उन्होंने अपना संतत्व कभी नहीं छोड़ा, जबकि आजकल के संत धार्मिक मठों में रहकर भी राजनीति करने लगे हैं।

ND
कुछ लोगों का मानना है कि महात्मा गाँधी के कारण ही देश में हड़ताल, बंद, धरना आदि धारणाएँ इस कदर फैली कि इससे हमारे देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है और अब हमारा मुल्क इससे त्रस्त हो चला है। इसके कारण बहुत सी कंपनियाँ बंद हो गई है और बंद के चलते देश पिछड़ता जा रहा है। धरना या आरमण अनशन तो इतने प्रचलित हो चले हैं कि आए दिन किसी न किसी शहर में या प्रांत में इसका असर देखा जा सकता है और व्यक्ति, संगठन या समाज इसके माध्यम से अपनी अनुचित माँग के लिए राज्य से अशांति फैलाने में माहिर हो चले हैं। यह धारणाएँ अब व्यापक रूप से सर्वहित को नुकसान पहुँचाती है।

अब तर्क यह दिया जा सकता है कि क्या फिर लोगों को अपने हितों की रक्षा करने के लिए अहिंसात्मक आंदोलन को छोड़कर हिंसात्मक दिशा में सोचना चाहिए। धरना, अनशन या सविनय असहयोग नहीं होगा तो लोग हिंसा का सहारा लेंगे, जो हमारे देश के लिए और भी कहीं ज्यादा नुकसानदायक ही होगा।

जो भी हो गाँधीवाद के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तर्क जुटाएँ जा सकते हैं। सोचने वाली बात यह है कि वर्तमान युग में गाँधीवाद की आवश्यकता है या कि गाँधी की तरह जीने की। हो सकता है कि कुछ लोग इन दोनों बातों में फर्क नहीं करते हों और कुछ करते भी हों, लेकिन आज के जीवन में तो देश, समाज और पर्यावरण का भला करने के लिए बहुत जरूरी है गाँधी जैसी जीवन शैली अपनाना।

( वेबदुनिया डेस्क)

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

फ्यूजन फैशन : इस दिवाली साड़ी से बने लहंगे के साथ करें अपने आउटफिट की खास तैयारियां

अपने बेटे को दीजिए ऐसे समृद्धशाली नाम जिनमें समाई है लक्ष्मी जी की कृपा

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali 2024 Outfit Tips : दिपावाली पर सूट को करें यूं स्टाइल, हर कोई करेगा आपकी तारीफ

सिखों के 7वें गुरु, गुरु हर राय जी की पुण्यतिथि, जानें 5 खास बातें

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

एक खोया हुआ ख़ज़ाना जिसने लाओस में भारतीय संस्कृति उजागर कर दी

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)