अहिंसा का संदेश देती महावीर जयंती

Webdunia
भगवान महावीर ने आज के दिन जन्म लेकर जीवों को अहिंसा, स्याद्वाद और अपरिग्रह का संदेश दिया। सत्य और अहिंसा जैसे महान सिद्धान्त तो सामान्यतः सत्पुरुषों की श्रेणी में आने वाले सभी मनुष्यों में देखे जा सकते हैं। लेकिन महावीर की अहिंसा बहुत सूक्ष्म है।

उनके विचारों में जीवों की रक्षा कर लेना मात्र अहिंसा नहीं है किसी भी प्राणी को तकलीफ नहीं पहुंचाना मात्र अहिंसा नहीं है।

यदि किसी को हमारी मदद की आवश्यकता है और हम उसकी मदद करने में सक्षम भी हैं फिर भी हम उसकी सहायता न करें तो यह भी हिंसा है। जरूरतमंद की सहायता करना अहिंसा धर्म है। किसी की जान बचाने के लिए अहिंसक प्राणी अथवा प्रेम से भरा हुआ प्राणी अपनी जान भी दे देता है। इस तरह की उत्तम वृत्ति मनुष्यों में ही नहीं पशुओं में भी देखी जा सकती है।


दो मित्र जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक सूखे पेड़ के नीचे दो मृग मृत पड़े हैं। उनमें से एक मित्र ने गौर से उन्हें देखा और चकित होते हुए अपने मित्र से बोला- मित्र! खड़ा न दीखे पारधी लगा न दीखे बाण। मैं तोसों पूछों सखे कैसे तज्या प्राण॥

हे मित्र! यहां पर न तो कोई शिकारी नजर आ रहा है, न ही इन मृगों के शरीर में कोई बाण ही लगा हुआ है, फिर भला इनकी मृत्यु कैसे हो गई। दूसरे बुद्घिमान मित्र ने उसे बताया कि देखो यहां किनारे पर गड्ढा है जिसमें थोड़ा पानी है।

' जल थोड़ा नेहा घना लगा प्रीति का बाण

तू पी- तू पी कहत ही दोनों तज्या प्राण'

मित्र देखते नहीं हो गड्ढे में कितना कम पानी है और इन दोनों में प्रेम गहरा है। प्यास से व्याकुल दोनों हिरण एक-दूसरे से यह कहते रहे कि पहले तुम पानी पी लो फिर मैं पी लूंगा। एक-दूसरे के लिए बलिदान करते हुए दोनों ने प्राण त्याग दिया।

जैसे बिना जल के कुआं शोभित नहीं होता। मूर्ति के बिना मंदिर की शोभा नहीं होती, जैसे पुष्प के बिना उद्यान मनोरम नहीं लगता वैसे ही अहिंसा के बिना धर्म का अस्तित्व सम्भव नहीं।

भगवान महावीर ने इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करके, अपनी इच्छाओं का निरोध करके परम पद को प्राप्त किया और संसार के प्राणियों को भी उसी मार्ग पर चलने का उपदेश देकर गए। मनुष्य में से यदि इच्छाओं को घटा दिया जाए तो भगवान अवशिष्ट रहते हैं वही मोक्ष है। और मनुष्य में इच्छाओं को जोड़ दिया जाए तो वह मानव ही रह जाता है। यही संसार है।

मनुष्य - इच्छा = भगवान (मोक्ष)
मनुष्य - इच्छा = इन्सान (संसार)

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

महाशिवरात्रि पर रात्रि के 4 प्रहर की पूजा का सही समय और पूजन विधि

शिव चालीसा पढ़ते समय ये गलतियां तो नहीं करते हैं आप?

मंगल ग्रह बदलेंगे चाल, क्या होगा देश दुनिया का हाल? किन 5 राशि वालों की चमकेगी किस्मत

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

सभी देखें

धर्म संसार

24 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

24 फरवरी 2025, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे मिलेगा लाभ, पढ़ें 23 फरवरी का दैनिक राशिफल

महर्षि दयानन्द सरस्वती के 5 विशेष कार्य जिनके कारण रखा जाता है उन्हें याद

विजया एकादशी व्रत रखने का तरीका और पूजा की विधि