महावीर स्वामी के पूर्व भवों का वर्णन

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1. कल्पसूत्र आदि ग्रंथों में भगवान महावीर के 26 पूर्व भवों का वर्णन है, तिलोयपण्णत्ति आदि ग्रंथों में 32 पूर्व भवों का वर्णन है।

2. कल्पसूत्र के अनुसार भगवान महावीर 72 वर्ष जीवित रहे। उत्तर पुराण के अनुसार वे 72वें वर्ष में कुछ माह तक ही जीवित रहे।

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3. भगवान महावीर का जन्म स्थान एक परंपरा 'कुंडलपुर' तथा दूसरी परंपरा 'छत्रिय कुंड' मानती है।

4. भगवान महावीर की माता त्रिशला को उत्तर पुराण में राजा चेटक की पुत्री तथा आवश्यक चूर्णि में राजा चेटक की बहन बतलाया गया है।


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5. भगवान महावीर के गर्भावतरण की मान्यता एक परंपरा में है। यह संदर्भ आचारांग एवं कल्पसूत्र आदि ग्रंथों में वर्णित है।

6. रात्रि के अंतिम प्रहर में माता त्रिशला द्वारा देखे गए स्वप्नों की संख्या कुछ ग्रंथों में 14 तथा कुछ ग्रंथों में 16 वर्णित है।

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7. कल्पसूत्र की परंपरा के ग्रंथों में भगवान महावीर के विवाह की ‍चर्चा है। तिलोयण्णत्ति की परंपरा के ग्रंथों में भगवान महावीर के बिना विवाह किए ही दीक्षा ग्रहण का वर्णन है।

8. भगवान महावीर का निर्वाण समय एक परंपरा के अनुसार कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी की रात्रि का अंतिम प्रहर तथा दूसरी परंपरा के अनुसार अमावस्या का अंतिम प्रहर है।



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