वीर स्तवन

- ए.के. जैन

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मंद मंद पवन बहने लगी गगन हुआ था नीलाकाश
कर्णप्रिय संगीत तान से जन-जन में जागा था प्रकाश

जन्म हुआ था जब महावीर प्रभु का छाई शांति सवर्त्र अपार
होने लगा दिक्‌दिगान्तरों में भक्ति सौरम का मधुर गुँजार

जय हो जय हो वीर प्रभु की हर मुख कर रहा जय जय कार
अब जन्मे हैं वीर प्रभु करने को हर प्राणीमात्र का उद्धार

मिट गया भेद रंक राव का फैल गई अहिंसा की गाथा
सुख पाया जगति के प्राणियों ने झुकाया चरणों में माथा

प्रभु आपने दिखलाया सच्चे सुख का राजमार्ग रख निष्पृहभाव
प्रभु आपने बतलाया ममत्व-लोभ के त्याग, होवे भेद पक्ष अभाव

प्रभु आपने समझाया जीना आदरपात्र का जीवन करके आत्मध्यान
प्रभु आपने अपना कर ही इन सबको पाया सिद्धाचल में स्थान

श्री महावीर प्रभु के जन्म दिवस पर करते हैं बारंबार नमन
हे वीर धीर भगवन हम अनाथ को भी देना मोक्ष गगन

नमन्‌ नमन्‌ और नमन्‌ करता हूँ बारंबार चरण नमन्‌
शिक्षा-उपदेश और सद्मार्ग अपनाकर करूँ स्व पाप शमन।
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