॥ विसर्जन पाठ ॥

॥ विसर्जन पाठ (संपूर्ण विधि) ॥

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- जुगल किशो र

संपूर्ण विधि कर वीनऊँ इस परम पूजन ठाठ में।
अज्ञानवश शास्त्रोक्त विधि तें चूक कीनों पाठ में॥
सो होहु पूर्ण समस्त विधि-वत तुम चरण की शरणतै।
बंदौं तुम्हें कर जोरिकें उद्धार जामन मरणतै॥1॥

आह्वानन स्थापन तथा सन्निधिकरण विधान जी।
पूजन विसर्जन यथाविधि जानूं नहीं गुणगानजी॥
जो दोष लागौ सो नशौ सब तुम चरण की शरणतैं।
बंदों तुम्हें कर जोरि कर उद्धार जामन शरणतैं॥2॥

तम रहित आवागमन आह्वानन कियो निज भाव में।
विधि यथाक्रम निजशक्ति सम पूजन कियो अतिचाप में॥
करहूँ विसर्जन भाव ही में तुम चरण की शरणतें।
वंदो तुम्हें कर जोरि कर उद्धार जामन मरणतें॥

तीन भुवन तिहूँ काल में, तुमसा देव न और।
सुख कारण संकट हरण, नमो 'जुगल' कर जोर॥

आशिका लेने का छंद :
श्री जिनवर की आशिका, लीजे शीश चढ़ाय।
भव-भवके पातक कटें, दुःख दूर हो जाय॥
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