Hanuman Chalisa

भगवान महावीर स्वामी के जन्म की 5 रोचक बातें

WD Feature Desk
बुधवार, 9 अप्रैल 2025 (13:40 IST)
Tirthankar of Jainism : भगवान महावीर स्वामी की ये 5 रोचक बातें उनके असाधारण जन्म और उनके भावी जीवन की ओर संकेत करती हैं। उनका जन्म न केवल एक बालक का जन्म था, बल्कि एक ऐसे युग प्रवर्तक का आगमन था जिन्होंने दुनिया को अहिंसा और सत्य का मार्ग दिखाया।ALSO READ: महावीर जयंती 2025 शुभकामनाएं: अपने प्रियजनों को भेजें ये सुंदर और प्रेरणादायक विशेज
 
आइए भगवान महावीर स्वामी के जन्म से जुड़ी 5 खास बातें यहां जानते हैं..।
 
1. राजा और रानी के घर हुआ जन्म: भगवान महावीर स्वामी का जन्म एक शाही परिवार में हुआ था। उनका जन्म राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर हुआ था, जो एक बड़े और समृद्ध राज्य के शासक थे। उनके माता-पिता जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जो महावीर स्वामी से 250 वर्ष पूर्व हुए थे उनके अनुयायी थे। यही वर्धमान बाद में महावीर स्वामी बने। आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का जो बसाढ़गांव है, वही उस समय वैशाली के नाम से जाना जाता था। 
 
2. 16 स्वप्नों की भविष्यवाणी : उनकी माता रानी त्रिशला के गर्भ में भगवान महावीर के जन्म से पहले 16 स्वप्न देखे थे, जिन्हें अत्यंत शुभ माना गया है। गर्भ के समय महारानी त्रिशला ने भगवान महावीर के जन्म से पहले 16 अद्भुत स्वप्न देखे थे, जैसे कि रत्नजडि़त सिंहासन, रत्नों का ढ़ेर, देव विमान, शेर, हाथी, क्षीर समुद्र, मोती दो मछलियां आदि। जब राजा सिद्धार्थ ने महारानी त्रिशला के सपनों की जानकारी स्वप्नवेत्ता को दी तो उन्होंने कहा था कि- हे राजन! महारानी ने मंगल सपनों के दर्शन किए हैं। अत: आपका पुत्र सपूर्ण लोक में धर्मध्वजा फैलाएगा तथा कीर्तिमान स्थापित करेगा।
 
3. जन्म का विशेष समय: भगवान महावीर या वर्धमान स्वामी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तेरहवीं तिथि को हुआ था। यह दिन जैन धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दिन महावीर स्वामी के जन्म ने धर्म के नए युग की शुरुआत की थी। माता त्रिशला के उन स्वप्नों ने संकेत दिया कि उनका पुत्र या तो एक महान राजा बनेगा या फिर एक महान ऋषि। उनका जन्म एक क्षत्रिय कुल में हुआ था और उनका बचपन का नाम वर्धमान था, जिसका अर्थ है 'बढ़ता हुआ'। यह नाम उनके जन्म के बाद राज्य में हुई समृद्धि और विकास को देखकर रखा गया था।
 
4. बाल्यकाल की अद्भुत घटनाएं: महावीर जब शिशु अवस्था में थे, तब इन्द्र और देवों ने उन्हें सुमेरू पर्वत पर ले जाकर प्रभु का जन्मकल्याणक मनाया था। यह घटना उनके जन्म की पवित्रता और महत्व को दर्शाती है। महावीर स्वामी का बचपन राजमहल में बीता। भगवान महावीर के बचपन में ही उनकी बुद्धिमत्ता और साधना के प्रति रुचि दिखाई देती थी। कहा जाता है कि बाल्यावस्था में ही उन्होंने ध्यान और साधना में गहरी एकाग्रता दिखाई थी, जो उनके भविष्य के महान तपस्वी बनने के संकेत थे।
 
5. जन्म से ही ज्ञान: हालांकि महावीर का जन्म शाही परिवार में हुआ था, लेकिन उनका जीवन साधारण और तपस्वी था। उन्होंने भव्य जीवन को त्याग कर संन्यास लिया और जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। एक राजकुमार होने के बावजूद, उनका मन सांसारिक वस्तुओं, भोग-विलासों में नहीं लगता था। वे बचपन से ही चिंतनशील और शांत स्वभाव के थे।

उन्हें सांसारिक बंधनों और दुखों की गहरी समझ थी, जिसने उन्हें युवावस्था में ही त्याग के मार्ग पर प्रेरित किया। महावीर स्वामी ने मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी को दीक्षा ग्रहण की थी तथा वैशाख शुक्ल दशमी को उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन पावापुरी में निर्वाण प्राप्त हुआ था। ALSO READ: महावीर जयंती 2025 पर निबंध: महावीर स्वामी के जीवन और शिक्षाओं से सीखें अहिंसा का पाठ

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shukra gochar: शुक्र के वृश्‍चिक में मार्गी होने से 4 राशियों पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा! करें मात्र एक उपाय

बुध के मार्गी होने से 3 राशियों को मिलेगी आर्थिक समस्या से मुक्ति

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027, स्नान तिथियां घोषित, जानिए कब से कब तक चलेगा कुंभ मेला

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

Dhanu Rashi 2026: पराक्रम का राहु और अष्टम का गुरु मिलकर करेंगे भविष्य का निर्माण

सभी देखें

धर्म संसार

भगवान दत्तात्रेय की जयंती पर करें इस तरह उनकी पूजा तो कुंडली में गुरु होगा बलवान

04 December Birthday: आपको 04 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 04 दिसंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

Lal Kitab vrishchik rashi upay 2026: वृश्चिक राशि के जातकों के लिए लाल किताब के अचूक उपाय, पंचम का शनि देगा झटका

शनि भारी होने पर संकट मोचन हनुमान स्तोत्र पढ़ने से ये होता है...

अगला लेख