'महावीर' : त्याग-संयम का अद्भुत उदाहरण

- डॉ. एमसी नाहटा

Webdunia
FILE

जैन शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'जिन' से हुई है जिसका तात्पर्य है कि उन व्यक्तियों ने अपनी अपरा प्रकृति, मनोविकारों, घृणा आदि पर विजय प्राप्त कर ली है। जैन धर्म का सही नाम जिन धर्म है जिसका अर्थ मन और इंद्रियों को जीतने वाला अर्थात आत्मजयी है। जैन धर्म में तीर्थंकर शब्द महत्वपूर्ण है जिसका अर्थ है जैन गुरु, जो चार सूत्री परंपराओं को स्थापित करता है।

जैन धर्म के अनुसार क्रोध, लालच और वासना जैसे आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला अरिहंत कहलाता है- ये सब करने वाले पूर्व विदेह देश (वर्तमान बिहार) के तत्कालीन क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ की रानी तथा वैशाली नरेश चेटक की सर्वगुणसंपन्न पुत्री त्रिशला के गर्भ से आज से 2500 वर्ष पूर्व शनिवार, 19 मार्च को जन्म लेने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर थे।

पूर्णरूपेण सुख, समृद्धि तथा राजसी ठाठबाट के वातावरण में जन्म लेने के बावजूद आरंभ से ही उन्होंने सांसारिकता के प्रति अलगाव का प्रदर्शन किया था। उस दिन को विश्व का संपूर्ण जैन समाज प्रतिवर्ष महावीर जयंती के रूप में पूरे उत्साह, उमंग तथा आनंद के वातावरण के रूप में मनाता है।

भारतीय संस्कृति में दान का महत्वपूर्ण स्थान है। जैन धर्मावलंबियों में इस प्रवृत्ति के व्यक्तियों की संख्या पर्याप्त है, तथा इस अवसर पर गौ हत्या रोकने हेतु भरपूर दान देते हैं। महावीर के उपासक जैन धर्म पालन करने वाले चार अन्य प्रकार के दान में भी विश्वास करते हैं- ज्ञानदान, अभयदान, औषधदान, आहारदान।

महावीर स्वामी का जीवन त्याग तथा संयम का अद्भुत उदाहरण हैं। जिन्होंने अपने 12 वर्ष की तपस्या में केवल 350 दिन भोजन ग्रहण किया था। महावीर का व्यक्तित्व विलक्षण था तथा दर्शन अद्वितीय जो पूरे मानव समाज के कल्याण की भावना से ओतप्रोत था। अपने दर्शन तथा उपदेशों से महावीर ने मानवीय जीवन के स्तर को सुधारने के सारे संभव प्रयास भी किए। उनके दर्शन के अंतर्गत नैतिकता आधारित व्यवहार से आध्यात्मिकता में श्रेष्ठता लाने की झलक स्पष्ट दिखाई देती थी।

WD
महावीर कर्म में पूरा विश्वास करते थे और उनका स्पष्ट मत था कि व्यक्ति का भविष्य कर्म ही निर्धारित करता है। महावीर दर्शन तथा शिक्षण के अनुसार कार्य करने से वर्तमान भ्रष्टाचार तथा हिंसा के वातावरण को नियंत्रित किया जा सकता है। महावीर बदले की भावना के कट्टर विरोधी थे- समस्या का निराकरण आपसी बातचीत से करना चाहते थे।

स्मरण रहे भारत की स्वतंत्रता महात्मा गांधी ने महावीर द्वारा बताए गए अहिंसा के सिद्धांत के माध्यम से ही हासिल की थी। पूरा विश्व वर्तमान में सारी समस्याओं का निराकरण आपसी बातचीत से करने हेतु प्रयासरत है और यही महावीर दर्शन का मूलमंत्र है।

महावीर ने हर प्रकार के भेदभाव, जात पात, वर्ग भेद इत्यादि का सदैव विरोध किया और कहा- 'जो आप अपने लिए चाहते हो वैसा ही दूसरों के लिए भी चाहो'।

आज के दिन हमें संकल्प लेना चाहिए तथा शांतिदूत महावीर के उच्च आदर्शों तथा उपदेशों से विश्व के प्रत्येक समाज को इनसे अवगत कराना चाहिए- जो शांतिदूत चाहते थे और इस हेतु उन्होंने पूरे जीवन प्रयास भी किए।

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें