आस्था से जुड़ी मकर संक्रांति

माधुरी अविनाश मोयदे

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मराठी में यह एक प्यार भरा निवेदन है, जिसका अर्थ है तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो, तिल-गुड़ फेंकना नहीं और हमसे लड़ना नहीं। यही प्यार भरा संदेश हमारी संस्कृति में भी रचा-बसा है।

भारतीय त्योहार सदैव एकजुटता व परस्पर प्रेम के द्योतक हैं। मकर संक्रांति पर्व भी ऐसे ही स्नेह व श्रद्धा से हर प्रांत व जाति द्वारा मनाए जाने वाला त्योहार है। यह ऊर्जा के स्रोत सूर्य की आराधना के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य की दक्षिणायन से उत्तरायन की ओर गति प्रारंभ होती है, जिससे मौसम में परिवर्तन के साथ-साथ रातें छोटी व दिन तिल के आकार में बढ़ने लगते हैं। यह सृष्टि के अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है।

विभिन्ना प्रांतों में यह त्योहार थोड़े भिन्न अंदाज व नामों से मनाया जाता है, लेकिन सबका मूल एक-सा ही है। तमिलनाडु में पोंगल, महाराष्ट्र में तिल संक्रांति, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात में उत्तरायन, असम में माघ-बिहू और राजस्थान में तो यह पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पतंग उत्सव में देश से ही नहीं वरन विदेशी भी दूर-दूर से आकर प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।

कई स्थानों पर इस दिन लोग मिल-जुलकर गिल्ली-डंडा व पतंगबाजी जैसे आयोजन करते हैं। रंग-बिरंगी पतंगें आसमान की ऊँचाई नापने के साथ, हवा में उड़ती, गोते लगातीं मानो सपनों को छू लेती हैं। जितना आनंद पतंग उड़ाने का उतना ही उसे काटने, पेंच लड़ाने व लूटने में आता है। एक तरह से यह त्योहार ऊँचाइयों को छूने का, गिले-शिकवे दूर कर एक हो जाने का भी है।

आनंद व उल्लास के साथ मकर संक्रांति के दिन जप, तप, दान, स्नान आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। कहते हैं इस समय किया गया दान सौ गुना बढ़कर प्राप्त होता है। महिलाएँ इस दिन सौभाग्य-सूचक वस्तुएँ, तिल-गुड़, रोली और हल्दी बाँटती हैं। पवित्र नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य देना, गाय को चारा खिलाने व खिचड़ी तथा तिल-गुड़ का दान शास्त्रों के अनुसार विशेष फलदायी होता है।

मकर संक्रांति के दिन तिल से बने व्यंजनों का सेवन सेहत के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। तिल का गुड़ के साथ सेवन करने से इसकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। साल की शुरुआत में तिल का सेवन पूरे साल निरोगी रखता है। आइए, प्रार्थना करें कि यह मधुर पर्व सबके जीवन में नई उमंग व उम्मीदों का सवेरा लाए। उत्तरायन का सूर्य अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए नई संभावनाओं के साथ।

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