Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना और आराधना की जाती है। इस दिन स्नान, दान पुण्य के साथ ही तिल गुड़ खाने और इसे प्रसाद रूप में बांटने की परंपरा भी है। आओ जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणों और तिल का क्या महत्व है।
सूर्य की सातवीं किरण :
- कहते हैं कि सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग निकलती हैं। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गईं।
- रश्मि अर्थात किरण। कहते हैं कि सूर्य की 7वीं किरण भारतवर्ष में आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देने वाली है।
- सातवीं किरण का प्रभाव भारत वर्ष में गंगा और यमुना नदी के मध्य अधिक समय तक रहता है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हरिद्वार और प्रयाग में माघ मेला अर्थात मकर संक्रांति या पूर्ण कुंभ तथा अर्द्धकुंभ के विशेष उत्सव का आयोजन होता है। इस दिन गंगा में स्नान करने और तर्पण करने का खास महत्व रहता है।
तिल के छह प्रयोग : विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए एवं स्व स्वास्थ्यवर्द्धन तथा सर्वकल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग पुण्यदायक एवं फलदायक होते हैं-
1. तिल जल से स्नान करना।
2. तिल दान करना।
3. तिल से बना भोजन।
4. जल में तिल अर्पण।
5. तिल से आहुति।
6. तिल का उबटन लगाना।
सूर्य पूजा का खास महत्व :
- रामायण काल से ही भारतीय संस्कृति में दैनिक सूर्य पूजा का प्रचलन चला आ रहा है। रामकथा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा नित्य सूर्य पूजा का उल्लेख मिलता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य की विशेष आराधना होती है।
- सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है।
- सूर्य संस्कृति में मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है, जो तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।