नजर आएँगी सतरंगी पतंगें

ढील दे, ढील दे रे भैया...

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ढील दे, ढील दे रे भैया...इस पतंग को ढील दे...जैसे ही मस्ती में आए इस पतंग को खींच दे/लगा ले पेंच फिर से तू होने दे जंग...नजर रहे सदा ऊँची सिखाती है पतंग। मकर संक्रांति यानी पतंग पर्व बस नजदीक ही है इसलिए आसमान में पेंच लड़ाने के लिए पंतगबाज खास तैयारी में लगे हुए हैं वहीं बाजार में भी विभिन्न रंगों व डिजाइनों की आकर्षक पंतगें नजर आने लगी हैं।

विभिन्न मैदानों और घरों की छतों पर इन दिनों पतंग के शौकीनों को पतंग उड़ाते देखा जा सकता है। प्रतिवर्ष संक्रांति पर शहरों में पतंग महोत्सव कराया जाता है।

उड़ेगी कई-कई फीट की पंतग
शहरों में काइट एसोसिएशन से रजिस्टर्ड टीमें भाग लेंगी। पतंग महोत्सव में पंतगबाजों द्वारा तैयार कई फीट की पतंगें तथा चील, उल्लू, हवाई जहाज आदि आकृतियों की पतंगें आकर्षण का केंद्र रहेंगी जबकि आयोजित प्रतियोगिताओं में पौनताव साइज की पतंगे ही शामिल होंगी।

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प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पतंगबाज इस बार प्रतिबंधित मांजा सी 28 और चीन के मांजे का प्रयोग नहीं कर सकेंगे, क्योंकि ये जहरीले होते हैं। इनके उपयोग के कारण कोई भी हादसा हो सकता है।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रती क
मकर संक्रांति पर्व से जु़ड़ी पंतगबाजी की परंपरा देश की गंगा-जमुनी सभ्यता को दर्शाती है, क्योंकि पतंगबाजी में हिंदू-मुस्लिम बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। साथ ही मकर संक्रांति पर होने वाले पतंग महोत्सव में मुस्लिम भाई हिंदुओं को तिल के लड्डू खिलाकर उनका स्वागत करते हैं।

वहीं चारों तरफ पतंग की दुकानें भी सजती हैं। इस बार भी मार्केट में कई आकारों व रंगों की पतंगे 5 रुपए से लेकर 500 रुपए तक में उपलब्ध हैं।

उड़ाते समय रखें सावधानी
विभिन्न पतंग महोत्सव समिति ने अपील की है कि पतंगबाजी के शौकीन लोग बिना मुंडेर की छत से पतंग न उड़ाएँ, क्योंकि निगाह पतंग पर रहने के कारण छत से गिरने की दुर्घटना हो सकती है वहीं सड़क पर पतंग लूटना भी परेशानी का कारण बन सकता है।

कई बार पतंग बिजली के तारों में भी फँस जाती है। इसे निकालने के लिए न तो खंबे पर चढ़ें और न ही किसी अन्य तार की मदद से इसे निकालें। ऐसा करने से करंट लग सकता है। बच्चों को खासतौर से इन बातों के लिए सावधान करना चाहिए।

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