Amalner mangal dosh puja । मंगल दोष का बहुत भय व्याप्त है लेकिन यह दोष नहीं बल्कि एक योग है जो कि बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि आपकी पत्रिका मांगलिक हैं तो यह मानिए कि आप कुछ स्पेशल हैं। बस आपको यह समझने की जरूरत है कि अब आपको करना क्या है। कैसे जानें कि आप मांगलिक हैं, आपकी जन्म पत्रिका में मंगलदोष हैं या कि आपका मंगल खराब है।
मांगलिक दोष । Manglik dosh: किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह 'मांगलिक दोष' कहलाता है। कुछ विद्वान इस दोष को तीनों लग्न अर्थात लग्न के अतिरिक्त चंद्र लग्न, सूर्य लग्न और शुक्र से भी देखते हैं। मान्यता अनुसार 'मांगलिक दोष' वाले जातक की पूजा वर अथवा कन्या का विवाह किसी 'मांगलिक दोष' वाले जातक से ही होना आवश्यक है।
मंगल खराब के लक्षण | mangal dosh ke lakshan: चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है।
मंगल का असर आंखों में होता है। मंगल खराब है तो आंखों की पुतलियां उपर की ओर ज्यादा झुकी होती है। यदि मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा हो जाए तो उनकी मौत होने का खतरा बना रहता है। मंगल बहुत ज्यादा बद होने पर एक आंख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है।
मंगल अच्छा होने के लक्षण : दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है। सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। मंगल नेक सेनापति का स्वभाव रखता है। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय और ईमानदार रहता है। शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता। मंगल अच्छाई पर चलने वाला ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है।
इस जगह होता है मंगल दोष का निवारण : महाराष्ट्र के जलगांव के पास अमलनेर में श्री मंगल देवता के स्थान को प्राचीन और जागृत स्थान माना जाता है। यहां पर पंचमुखी हनुमानजी के साथ ही भू-माता के साथ मंगलदेव विराजमान हैं। मंदिर से जुड़े भक्तों का मानना है कि यह धरती पुत्र मंगल देव का जन्म स्थान है। यहां पर मंगलवार को लाखों भक्त पूजा और दर्शन करने आते हैं। इसी के साथ यहां पर मंगल की शांति हेतु अभिषेक और महाभिषेक किया जाता है। जो लोग मांगलिक हैं या जिनका विवाह नहीं हो रहा है उनके लिए यहां पर मंगल की सामूहिक और विशेष पूजा होती है। कहते हैं कि यहां पर मंगलवार को आकर की गई मंगल पूजा और अभिषेक से शर्तिया मंगल दोष से मुक्ति मिल जाती है और जातक सुखी वैवाहिक जीवन यापन करता है।
यहां मंगल ग्रह की शांति के लिए प्रतिदिन अभिषेक किया जाता है। मंगलवार को यहां पर अभिषेक कराने के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। यहां सभी की समस्याओं के समाधान के लिए भोमयाम अभिषेक भी किया जाता है। अभिषेक कराने के लिए लिए आपको पहले से ही यहां पर रजिस्ट्रेशन करना होता है।
हर मंगलवार को मंगलदेव की मूर्ति पर पंचामृत अभिषेक किया जाता है। इसके लिए करीब 2 घंटे लगते हैं। इस अभिषेक के लिए एक ही श्राद्धालु को पूजा का सामान प्राप्त होता है। मंगलवार को पंचामृत अभिषेक की तरह की प्रतिदिन प्रात: 5 बजे के करीब नित्य प्राभात 'श्री मंगलाभिषेक' भी किया जाता है। इसके लिए भी करीब 2 घंटे लगते हैं।