इंफाल। मणिपुर में राजनीतिक भागीदारी में महिलाएं पिछड़ती नजर आ रही हैं। राज्य विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 265 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें से केवल 17 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं।
मणिपुर में महिला नेताओं का कहना है कि जब तक महिलाओं के लिए सीट आरक्षित नहीं की जाएंगी, तब तक उनकी उपुयक्त राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पाएगी। राज्य में एक रोचक तथ्य यह भी है कि मणिपुर में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक है। महिला मतदाताओं की संख्या 10.57 लाख से अधिक है जबकि करीब 9.90 लाख पुरुष मतदाता हैं।
नागरिक समाज आंदोलन में अगुवा की भूमिका निभाने वाली महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी में उचित अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। बड़े दलों की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन महिला उम्मीदवार उतारे हैं जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा नेशनल पीपुल्स पार्टी ने दो-दो महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
भाजपा की मणिपुर इकाई की अध्यक्ष शारदा देवी ने कहा, पूर्वोत्तर में महिलाएं अन्य सभी चीजों में प्रमुख भूमिकाएं निभाती हैं, लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो महिलाओं को आगे नहीं बढ़ाया जाता क्योंकि समाज महिलाओं के राजनीति में आने को अच्छी नजर से नहीं देखता।
हालांकि शारदा देवी जोर देकर कहती हैं कि चीजें धीरे-धीरे बदल रहीं है। वह अपनी पार्टी का उदाहरण देती हैं, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में दो महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था जबकि वर्तमान चुनाव में भाजपा की तरफ से तीन महिला उम्मीदवार हैं। शारदा देवी इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को श्रेय देती हैं।
उन्होंने कहा, राजनीतिक रूप से मजबूत किए बिना महिला सशक्तिकरण पूर्ण नहीं हो सकता। इसी तरह के विचार साझा करते हुए कांग्रेस की नेता एवं पूर्व मंत्री एके मीराबाई देवी ने कहा, यह एक पुरुष प्रधान समाज है, ऐसे में इच्छुक महिला उम्मीदवारों के लिए उनसे सीट छीनना मुश्किल है।(भाषा)